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जेटला धातुशब्दो छे. परिशिष्टना बन्ने कोशोना घणा शब्दो, स्वाभाविक रीते ज, मूळ कोशमां मळे छे. वर्णक्रम आ पछीना प्राकृत कोश प्रमाणे छे.
मध्यकाळमां वपराशमां रहेला देशी शब्दो परत्वे आ कोश घणो उपयोगी थयो छे. पाइअसद्दमहण्णवो, पंडित हरगोविंदास त्रि. शेठ, प्रका. प्राकृत ग्रंथ परिषद्, वाराणसी, १९६३ (द्वितीय संस्करण).
प्राकृत भाषाना आ कोशमां शब्दार्थ आधारग्रंथना निर्देश साथे आपवामां आव्या छे. क्वचित् पंक्ति पण उद्धृत थई छे. अर्थ हिन्दी भाषामां छे. समाविष्ट शब्दोमां संस्कृतमाथी ऊतरी आवेला तेमज देश्य भाषाना शब्दो पण छे. सानुस्वार वर्णो निरनुस्वार वर्णोनी पूर्वे छे, पण पाछळ स्वरवाळा वर्णो पहेलां मुकाया छे. जेमके, क, कइ वगेरे, पछी कं, कंइ वगैरे, पछी कंक, कंकड वगेरे, पछी ककाणि, कडुध वगेरे. कोशमां आशरे ५७००० शब्दो छे.
प्राचीन गुजराती भाषानो प्राकृत भाषा साथेनो संबंध घणो गाढ होई केटलाक शब्दोनी चावी उकेलवामां आ कोश खास काममां आव्यो छे. बृहद् गुजराती कोश खंड १-२, केशवराम का. शास्त्री, प्रका. युनिवर्सिटी ग्रंथनिर्माण बॉर्ड, अमदावाद, १९७६ अने १९८१.
सार्थ गुजराती जोडणीकोश उपरांत भगवद्गोमंडल आदि कोशोनी सहाय लईने रचायेला आ कोशमा ७५०००थी ८०००० शब्दो समाविष्ट छे. जोके संस्कृत तत्सम शब्दोने बाद करतां आ कोश सार्थ गुजराती जोडणीकोशथी खास विशेष सामग्री आपतो जणातो नथी. शब्दना अर्थ नोंधवा उपरांत शक्य बन्युं त्यां, शब्दनां मूळ पण दर्शावेल छे. साधित अने सामासिक शब्दो स्वतंत्र राख्या छे, पण रूढिप्रयोगो शब्दना पेटामां मूक्या छे. बृहद् हिन्दी कोश, संपा. कालिकाप्रसाद वगेरे, प्रका. ज्ञानमंडल लि., वाराणसी, १९८४ (पंचम संस्करण).
आ कोशमां हिन्दी शब्दो एना हिन्दी पर्याय साथे आपवामां आव्या छे. क्वचित् शब्दनो प्रयोग दर्शावती पंक्ति टांकवामां आवी छे. सामासिक शब्दो अने रूढिप्रयोगो शब्दना पेटामा लीधा छे. आमां संस्कृत शब्दो मोटा प्रमाणमां समावी लेवाया छे. अने केटलाक मध्यकालीन शब्दो पण जोवा मळे छे. सानुस्वार वर्णो पहेला अने निरनुस्वार वर्णों पछी एवो वर्णक्रम छै. कुल शब्दसंख्या १,४०,३०० छे.
नोंधायेला केटलाक जूना हिन्दी शब्दो, केटलाक फारबी-अरबी मूळना शब्दो अने केटलाक संस्कृत शब्दोना आ कोशना अर्थो मध्यकालीन गुजराती शब्दोना
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