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उर्दू-हिन्दी शब्दकोश, संपा. मुहम्मद मुस्तफां खां 'मद्दाह', प्रका. उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ, १९८९ (षष्ठ संस्करण)
सानुस्वार वर्णो पहेलां अने निरनुस्वार पछी ए वर्णक्रम अहीं छे. एटलेके 'कं' पहेलां अने 'क' पछी. मध्यकालीन गुजरातीमां वपरायेला केटलाक फारसी-अरबी शब्दो माटे तेमज केटलाक शब्दोनी एमनी आजे अपरिचित अर्थछाया माटे आ कोश काममां आव्यो छे. आ कोशमां ३५००० उपरांत शब्दों छे. गुजराती भाषानो लघु व्युत्पत्तिकोश संपा. हरिवल्लभ भायाणी, प्रका. गुजरात साहित्य अकादमी, गांधीनगर, १९९४.
अत्यारे प्रचलित गुजराती शब्दोनी व्युत्पत्ति आमां आवी छे. व्युत्पत्तिमां प्राकृत अने संस्कृत भूमिकानां शब्दरूपी नोंध्यां छे. टर्नरने अनुसरी संस्कृत - प्राकृतनां कल्पित रूपोनो पण आश्रय लीधो छे. आशरे ३००० शब्दो आमां समावेश पाम्या छे. पाछळ केटलाक शब्दो विशे व्युत्पत्ति तथा प्रयोगविषयक ट्रंकी नोंध आपी छे तेमां मूळ शब्दकोशमां नहीं आवेला प्राचीन शब्दो पण जोवा मळे छे.
आ कोशना ठीकठीक शब्दो उच्चारभेदे मध्यकाळमां मळे छे एटले व्युत्पत्तिना विषयमा आ ग्रंथ घणो मार्गदर्शक बन्यो छे. गुजरातीमां प्रचलित फारसी शब्दोनो सार्थ व्युत्पत्ति कोश, भाग १थी ४, संपा. छोटुभाई रणछोडजी नायक, प्रका. गुजरात युनिवर्सिटी, अमदावाद, १९७२ - १९८८.
आ कोशमां गुजरातीमां प्रचलित शब्दोनां मूळ अरबी-फारसी रूप तेमज अर्थ दर्शाववामां आव्यां छे अने गुजरातीमां शब्द जे अर्थ के अर्थोमां प्रचलित होय ते पण आपवामां आवेल छे. केटलेक ठेकाणे शब्दना प्रयोग दर्शावती पंक्तिओ पण उद्धृत थई छे. कोशमां आशरे छ हजार शब्दों छे.
उद्धृत थयेली केटलीक पंक्तिओ मध्यकालीन कृतिओमांथी छे, ते उपरांत पण मध्यकाळमां वपरायेला केटलाक फारसी शब्दो अहीं जडे छे, तेथी अर्थनिर्णयमां आ कोश पण उपयोगी थयो छे.
देशी शब्दकोश, संपा. मुनि दुलहराज, प्रका. जैन विश्वभारती, लाडनूं, १९८८. आ ग्रंथमां देशी शब्दो एना अर्थ ने प्रयोगना स्थाननिर्देश साथे आपवामां आवेल छे. केटलेक स्थाने उक्ति पण उद्धृत थई छे. अर्थ हिंदी भाषामां आपवामां आव्या छे. आशरे ११००० शब्दोनो एमां समावेश छे. परिशिष्ट रूपे उत्तरकालीन प्राकृत ग्रंथोमां एमना संपादकोए आपेला शब्दकोशोने संकलित करी लेतो एक कोश आपवामां आव्यो छे, जेमां आशरे ३००० शब्दो छे. बीजा परिशिष्टमां देशी धातुओनो अर्थ सानो अने केटलेक स्थाने आधार पण निर्देशतो कोश छे, जेमां १६००
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