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मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश
वपरातो देखाय छे. जेमके,
उषाह. मां
अनिआउ अह्मे सवि कीधा, सांसहि देव मुरारि.
संपादके 'अनिआउ'नो 'अन्याय' एवो अर्थ आप्यो छे. पण आ बाणासुरना मंत्री कुंभ अने महादेवनी उक्ति छे. कृष्णने शरणे आवतां तेओ आम बोले छे. कुंभ महेता अने महादेवे वळी कया अन्याय कर्या हता ? कृष्णनी सामे थवानो दोष, गुनो एमणे कर्यो ए ज. एथी आ पंक्तिनो अर्थ आम ज करवो योग्य छे : “अमे घणा वांकगुना कर्या छे मुरारि देव, ए आप सही लो. "
नलरा. मां
कूबर दुष्टमां मूलगु, सेवइ व्यसन सात रे,
अन्या मारगि ते हींडइ, नवि जाणइ पुण्य वात रे.
चतुचा. मां
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संपादके 'अन्या’नो 'अन्याय' एटलो ज अर्थ आप्यो छे. पण अहीं पुण्यमार्गनी सामे अन्यायमार्ग मुकायेलो छे, तेथी अन्यायमार्ग एटले दुष्कर्मनो, पापनो मार्ग एवो अर्थ वधारे उचित छे : "कुबेर दुष्टोनो अग्रणी छे. ए सात व्यसनो सेवे छे ने दुष्कर्म, पापकर्मने मार्गे चाले छे. पुण्यनी चात ए समजतो नथी. "
एहवो अन्या मनमां धरी, वढशो वहालाने साथ.
गोपी साथे क्रीडा करतां कृष्णथी राधानुं नाम लेवाई गयुं ए संदर्भमां बोलायेलुं आ वाक्य छे. संपादके योग्य रीते ज 'अन्या'नो 'दोष, वांक' एवो अर्थ आप्यो छे : " वहालानो ए दोष मनमां राखीने एनी साथे झघडो करशो ?"
प्रेमाका. - अंतर्गत 'दशमस्कंध' मां
एज कृतिमां
अमो आचर्या अन्या कैं लक्ष.
संपादकोए ‘अन्या’नो ‘अन्याय, दोष' एवो अर्थ आप्यो छे, परंतु वृक्षनो अवतार पामेला कुबेरना बे पुत्रो नलकुबेर अने मणिग्रीव मद्यपान, विषयलंपटता वगेरे पोतानां निंद्य कर्मोंनो स्वीकार करतां आ वाक्य बोले छे तेथी 'अन्या'नो 'दोष, दुष्कर्म' एवो अर्थ ज योग्य गणाय.
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थोडी शब्दार्थचर्चा
स्वभाव छे स्त्री तणो रे, नग्न सर्वथा नाह्य,
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एवं जाणी अमे पेठा जळमां, ए थई आव्यो अन्याय.
संपादके अहीं 'दोष' अर्थ आप्यो छे ए यथायोग्य छे. गोपीओ पोते नदीमां नग्न थईने नाही एने पोतानो दोष गणावे छे.
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