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मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश
भ्रष्ट पाठ होवानी शक्यता ज बळवान छे.
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३१. अमलीमाण,
अमलीमान
ऐतिका. मां 'अमलीमान' शब्द आ प्रमाणे वपरायेलो मळे छे :
जग मांहे अमलीमान सूरि ज तेज समान.
संपादके 'निर्मल मानवाला' एवो अर्थ आप्यो छे ते भूलभरेलो छे. 'अमली' ए शब्द सं. 'अमर्दित' परथी आवेलो छे. 'अमलीमान' एटले 'जेनुं मान अमार्दित, अखंडित रह्युं छे एवो.
जिनरा. मां पंक्ति छे :
थोडी शब्दार्थचर्चा
बंधव अमलीमाण.
'अमलीमाण' नो अर्थ 'अगंजित ' ( अपराजित) आप्यो छे ते चाली शके. मान मर्दित न थवुं एटले अपराजित रहेवुं.
३२. अमाइ, अमामो, अमाणुं, अमान, अमानी
तेरका. मां 'अमाइ' शब्द आ प्रमाणे वपरायेलो छे :
लहिय छिद्दं सवि दुख अमाइ.
संपादके शब्दकोशमां 'अमा-' सामे प्रश्नार्थ मूक्यो छे, परंतु एमणे आ पंक्तिनो अनुवाद " लाग मळतां सौ दुःख आवी पडे छे" एवो आप्यो छे. 'अमाइ'नो 'आवी पडे छे' एवो अर्थ संदर्भथी बेसाडेलो छे ए स्पष्ट छे.
'भाइ' एटले 'माय, समाय'. 'अमाइ' एनो विरोधी शब्द होवानुं समजाय छे. 'अमाइ' एटले 'न माय' एटलेके 'ऊभराय'. 'छिद्र / लाग मळतां सौ दुःख ऊभराय छे' एम ए अर्थ बराबर बंध बेसी जाय छे. ए नोंधवं जोईए के राजस्थानी कोश 'अमाइ' शब्दनो 'अप्रमाण, बहुत, अधिक' एवो अर्थ आपे छे. त्यां 'अमाइ' क्रियापद नहीं पण विशेषण छे.
'अमा- ' परथी बनेलो बीजो एक विशेषणशब्द छे 'अमामो'. 'जिनराज - कृतिकुसुमांजलि' मां ए वपरायेलो छे :
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(१) एकण दूध अमामो दीयो, घृतनो बीडो बीजी लीयो. (२) चरणकरण धन माल, अमामो लूटिसी.
पहेली पंक्तिने संदर्भे संपादके 'अमूल्य' अर्थ आप्यो छे तेमां कंईक भ्रान्ति थयेली जणाय छे. 'अमामो' शब्दना मूळमां 'अमा-' होवानुं स्पष्ट छे, आथी एनो अर्थ 'न माय तेटलुं, अमाप, पुष्कळ' एम ज लेवो जोईए. दूधने अमूल्य कहेवामां कई स्वारस्य नथी, घणुं दूध आप्युं एम ज अभिप्रेत होई शके. बीजी पंक्तिमां पण 'पुष्कळ' नो अर्थ बराबर बेसी जाय छे. राजस्थानी कोश 'अमाव' शब्द 'खूब, बेहद' ना अर्थमां नोंधे छे
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