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आ कृतिनुं रचनावर्ष १६४९ (सं.१७०५) मळे छे.
२०० उपरांत महत्त्वना शब्दोनो कोश आमां छे. आमां पण शब्दो परत्वे एकथी वधु स्थाननिर्देश कर्या छे. शब्दकोश उपरांत विस्तृत टिप्पण
पण छे. अभिऊ. दिहलकृत) अभिवन-ऊझj, संपा. शिवलाल जेसलपुरा, प्रका. पोते,
अमदावाद, १९६२.
कृतिनो रचनासमय नथी, पण एनी हस्तप्रतनुं लेखनवर्ष १६२४ मळे छे. कर्ता १५०० आसपास हयात होवार्नु अनुमान थयुं छे.
शब्दकोशमां ४०० उपरांत शब्दो छे. शब्दोना व्याकरणी पदप्रकार दर्शावेल छे अने घणा शब्दोनी व्युत्पत्ति आपी छे. अंगवि. (कीकु वसहीकृत) अंगद-विष्टि, संपा. हरिनारायण आचार्य. जुओ कृष्णबा. अंबरा. (वाचक मंगलमाणिक्य विरचित) अंबड विद्याधर रास, संपा. बलवंतराय
क. ठाकोर, प्रका. एन. एम. त्रिपाठी लिमिटेड, मुंबई, १९५३.
कृतिनुं रचनावर्ष १५८३ (सं.१६३९) मळे छे.
कृतिनो मूळ पाठ छपाया पछी बलवंतराय ठाकोरनुं अवसान थयेखें. एमनी आंखनी तकलीफने कारणे प्रफवाचननी घणी भूलो रही जतां भोगीलाल सांडेसराए विस्तृत पाठशोधन आप्युं छे अने शब्दकोश पण उमेर्यो छे. एमां २५० जेटला शब्दो नोधायेला छे. केटलाक शब्दो परत्वे एकथी वधु स्थाननिर्देश करेल छे. 'ष'ने 'ख'ना क्रममा मकेल छे. जेमके
'षासर' (-खासर). आनंस्त. 'आनंदघन बावीसी' पर ज्ञानविमलसूरिकृत स्तबक, संपा. कुमारपाळ देसाई,
प्रका. कौशल प्रकाशन, अमदावाद, १९८०.
स्तबकनुं रचनावर्ष नथी, परंतु सौथी जूनी हस्तप्रत १७१३ (सं.१७६९)नी लखायेली मळे छे जे ज्ञानविमलसूरिना जीवनकाळ (१७२६ सुधी हयात)नी छे. एटले ए वर्षे के एनी पूर्वेनां थोडां वर्षोमां स्तबक रचायो हशे एम अनुमान थई शके.
___ आशरे ७०० शब्दोने समावतो विस्तृत शब्दकोश आमां छे. 'नीपजइ' 'पदार्थनई' जेवा अंत्य स्थानना सामान्य उच्चारणभेदवाळा घणा शब्दो ने 'अकस्मात भय' जेवा चालु शब्दो नोंधाया छे, जे आ संकलित शब्दकोशमां छोडी दीधा छे. ते उपरांत, जैन, बौद्ध, न्याय वगेरे दर्शनोना घणा पारिभाषिक शब्दोनी समजूती पण एमां छे. ए शब्दो पण चालु भाषाना
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