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नोंधायेलो शब्द आधारग्रंथमा उच्चारभेदथी, क्रमभेदथी के क्रमभंगथी पण जरूर मळवानो. तेथी ए माटे ए जरा आमतेम खांखांखोळां करे ए जरूरी छे.
आधारग्रंथोनी केटलीक खासियतो आ पछी ए ग्रंथोनो संक्षिप्त परिचय आप्यो छे एमांथी जाणवा मळी शकशे.
शब्दार्थ आधारग्रंथोना निर्देश पछी शब्दार्थ सादां अने सीधां बीबांमां आपेल छे. केटलाक आधारग्रंथोमां शब्दार्थ अंग्रेजीमा छ – जेमके उपबा., गुर्जरा., वसंवि(ब्रा)., वीसरा. अने षडाबा.मां; केटलाकमां हिंदीमां छे - जेमके ऐतिका. तथा जिनरा.मां; तथा कोईकमां संस्कृतमा - जेमके उक्तिर. अने प्राचीसं.मां. अहीं आ शब्दार्थोनो गुजरातीमां अनुवाद करी लीधो छे, सिवाय के हिंदी के संस्कृत शब्द गुजरातीमां पण वपरातो होय.
आ एक संकलित कोश होई एनो मुख्य आशय तो शब्दो तेमज शब्दार्थो बन्ने मूळ आधारग्रंथोमां होय ते ज आपवानो होय. परंतु मूळ आधारग्रंथमां जेम खोटा पाठवाचनने कारणे के भ्रष्ट पाठने कारणे खोटा शब्द आवी गया छे एम एने लीधे के संपादकनी समजफेरने लीधे खोटा शब्दार्थ पण आवी गया छे. आ कोशने मात्र संकलित कोश नहीं पण संशोधित कोश बनाववानो आशय रह्यो होवाथी जेम पाठसुधारणा करवानी थई तेम शब्दार्थसुधारणा पण करवानी थई छे. पाठसुधारणा करतां मूळ ग्रंथनो शब्द बदलायो, छतां मूळ ग्रंथनो शब्द राखीने ज सुधारेलो शब्द आप्यो, केमके मूळ ग्रंथमां शब्द जेम होय तेम राखवो अनिवार्य हतो. ए द्वारा ज मूळ ग्रंथना प्रयोग सुधी पहोंची शकाय. पण शब्दार्थ बदलातो होय त्यां मूळ शब्दार्थ साचववो अनिवार्य न हतो केमके एथी मूळ ग्रंथ सुधी पहोंचवामां कोई बाधा ऊभी थती नहोती. ने मूळ शब्दार्थ | हतो ए जाणवा इच्छनार मूळ ग्रंथ सुधी पहोंचीने ए सहेलाईथी मेळवी शके तेम हतुं. बीजी बाजुथी खोटा शब्दार्थोथी आ कोशने भरी देवाथी एनो उपयोग करनार मोटा भागना वर्ग उपर निरर्थक बोजो पडे ने एने निरर्थक गूंचवावा- थाय एबुं बनतुं हतुं. वळी, शब्दार्थ साचो होवा विशे शंका जाय पण ए खोटो होवानुं खात्रीपूर्वक कही न शकाय अथवा तो ए अपर्याप्त होय अने एनी पूर्ति ज करवानी जरूर होय एवू पण केटलाक दाखलाओमां देखातुं हतुं. आम शब्दार्थनी कंईक संकुल परिस्थिति सामे आवी अने शब्दार्थने केम रजू करवा ते जरा कोयडारूप
बन्यु.
उपरांत, मूळ ग्रंथना शब्दार्थ छोडवाना थाय के ए शंकास्पद लागे के एमां पूर्ति करवानी थाय त्यारे कोशना संपादक पोताना अर्थ आपी शके के न आपी शके, के
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