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ए जरूरी हतुं. एक रस्तो जेम 'ल'-'ळ'नो भेद अवगण्यो हतो तेम 'इ'-'ई' वगेरेनो भेद अवगणी एमने एक ज वर्णक्रममां मूकवानो हतो. परंतु आ कोशमां आq वारेवारे करवानुं थाय तो एथी एनो उपयोग करनारना मनमां गूंच ऊभी थाय अने एमनी अगवडमां खास्सो वधारो थाय. एथी जे शब्दो आवा जोडणीभेदथी आव्या होय तेमने एक स्थाने भेगा करी, बीजे स्थाने प्रतिनिर्देश करवो एवी पद्धति स्वीकारी. जेमके,
आलिंघन, आलीघन, आलीघन आलीधन जुओ आलिंघन आलीपन जुओ आलिंघन
आम भेगा करवानु सळंगसूत्र रूपे थयुं नथी ने बन्ने ठेकाणे प्रतिनिर्देश करी बे शब्दोने सांकळवारों पण कर्यु छे. 'श'-'स'ना भेद परत्वे तो एम ज कर्यु छे. आ बेमांथी एकेय प्रक्रिया न थई होय एवा शब्दो पण रही गया हशे. परंतु विरलपणे मळता के अर्थदृष्टिए ध्यान खेचता शब्दो ज्यारे उच्चारणभेदथी आव्या होय त्यारे एमने कोई ने कोई रीते सांकळी लेवानी काळजी राखी छे.
पूर्वे अनुनासिक व्यंजनवाळो जोडाक्षर गुजरातीमां अनुस्वारथी दर्शाववानी व्यापक रूढि छ – 'अङ्क'ने स्थाने 'अंक', 'अन्त'ने स्थाने 'अंत'. मध्यकाळमां पण व्यापक रीते सानुस्वार रूप ज मळ्युं छे. तेथी बन्ने रूपो मळ्यां छे त्यां एक ठेकाणे एकठां करी बीजा रूपने एने स्थाने मूकी प्रतिनिर्देश कर्यो छे. जेमके,
अन्तरि जुओ अंतरि
अंतरि, अन्तरि ज्यां एकलुं अनुनासिक व्यंजनवाळु रूप मळ्युं है त्यां पण अनुस्वारवाळा रूपमा एने दर्शावी प्रतिनिर्देश करवानुं वलण राख्युं छे, जेथी अनुस्वारवाळा रूपे तो आवा शब्दो बधा मळे ज. जेमके,
चन्द्रोदय चंद्रोदय जुओ चन्द्रोदय
आम छतां, जे शब्दो एना अनुनासिक व्यंजनवाळा रूपमां सहेलाईथी समजी शकाय तेवा होय ने एनुं सानुस्वार रूप अन्यत्रथी मळतुं ज होय त्यां बे रूपोने जोडवानो के प्रतिनिर्देश करवानो हमेशां आग्रह राख्यो नथी.
आ संकलित कोशमा समावायेला शब्दकोशो जे कृतिओने आवरे छे ते बारमाथी अढारमा सैका सुधीमां रचायेली छे. आटला लांबा समयगाळामां भाषास्वरूप खास्सुं परिवर्तन पाम्युं होय अने ए परिवर्तनने झीलता शब्दो आ कोशमां दाखल थया होय. एटलेके एक ज शब्द भिन्नभिन्न स्वरूप प्राप्त थयो होय. जेमके, अउखध, उखध,
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