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छांहडी/छूटे दोरयं
१८४ मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश छांहडी आनंस्त. आरारा. मदमो. वीसरा. (*सं.छिद्राटिनी) ___ छाया, छायो, पडछायो
छीतर उक्तिर. सूपडं दि.छित्तरय] छांहा आरारा. छांयो, पडछायो [सं.छाया] छीति आरारा. क्षति, कलंक छांहिया आरारा.छांयो, पडछायो [सं.छाया] छीपइ गुर्जरा. जिनरा. स्पर्शाय, स्पर्श करे; छि, छिइ कादं (शा). नलाख्या. छे (पा. जुओ छिपइ ___ अच्छति) [सं.आक्षेति]
छीपउ उक्तिर. कपडां रंगनारो, छीपो दि. छिकारडां प्रेमाका. [नानी जातन] हरण छिपय]; जुओ छींपउ छिछइ, छिपइ उक्तिर. स्पर्श [सं.स्पृशति] छीप, सिंहा(शा). लांगरवू छिडु नलाख्या. छेडो, [वस्त्रनो भाग] (सं. छीपां मदमो. लांगर्या छेद)
छीपुं (छीपुं हु) कृष्णच. *मने स्पर्श थाय, छिदमर (छि दमर सुकी) प्राचीफा. ?, [मारे संता, पडे छे] [हिं.छीपना] [दोरडी जेवी सुकायेली]
छीलर नरका. प्राचीफा. शृंगामं. स्थूलिफा. छिदूं नलाख्या. छेथु (सं.छिद्)
खाबोचियुं, [छीछरा पाणीनुं तलाव] छिद्द तेरका. छिद्र, लाग
(द.छिल्लर) छिनु उक्तिर. छन्नु (सं.षण्णवति) छीलोजी * नंदब. [पलाश, खाखरो] छिपइ जुओ छिछइ, छीपइ
छींडणि जुओ छीडणि छिपायउ वीसरा. छुपाव्यो
छींडी नरका. सांकडी गली, [छींडु, वाडछिरिका प्राचीसं. ?, [कोई शस्त्रविशेष] मांथी करेलो रस्तो]; उक्तिर. प्राचीसं. छिल्लरूं गुर्जरा. [नानुं] सरोवर, [छीछरा छीडु पाणीनुं तळाव] दि.छिल्लर
छीपउ नलरा. कपडां छापनार, छीपो दि. छिवइ उक्तिर. षडाबा. स्पर्शे (सं.स्पृशति) . छिपय); जुओ छीपउ . छिंडीपंथ सम्यचो. [केडीमार्ग, सांकडो मार्ग] छुड आरारा(व). छड - एक करियाणुं, छी चतुचा. छे
छुर, गोखरु ? छीकउं उक्तिर. षडाबा.शीकं (सं.शिक्यम) छुडि विक्रच. छोडियां छीकणी उक्तिर. छींक, छींक खावी ते छुडिपुडि, छुडुपुड, छडपडु तेरका. प्राचीसं. (सं.छिक्किका)
झटपट दि.छुड्डु परथी] छीछि वसंफा(ल). वसंवि. वसंवि(ब्रा). छुरउ उक्तिर. छरो [सं.क्षुरकः] निर्भर्त्सना करे, तिरस्कार करे (द.छिछि छुरी गुर्जरा. षडाबा. छरी (सं.क्षुरिका) = धिकधिक् परथी ?)
छुहिय तेरका. प्राचीसं. भूख्यो (सं.क्षुधित) छीडणि, छींडणि उक्तिर. छींडी, वाडनु छींईं छूटे दोरयं प्रेमाका. छूटे दोर, पुष्कळ
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