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शब्दरत्नमहोदधिः।
[म-मर्दित
मर्क् (सौत्र. पर. स. सेट-मति ) गमन ४२, ४.. | मर्कटजाल (न.) छन्६:२।२२. प्रसिद्ध म.. 28. मर्क पुं. (मर्चति चेष्टते, मर्च+कन् यद्वा मर्कति मर्कर पुं. (म+अरच्) मारी, वास, मां3.
सर्पति म+अच्) शरी२i ३२ना व्यान, मर्करा स्त्री. (म+अरच्+स्त्रियां टाप्) dinel. स्त्री, नामनो वायु, हेड.
सुरं. मर्कक पुं. (मर्क+इवार्थे संज्ञायां वा कन्) ४२रोगियो... मर्च् (चु. उभ. स. सेट-मर्चयति-ते) ९. ४२j,वे. मर्कट पुं. (मर्कति गच्छति, मर्क+अटन्) वान२- हारं मर्जू पुं., स्त्री. (मृज्+ऊन्) धोबी, 05 नयन ओई
वक्षसि केनापि दत्तमज्ञेन मर्कटः । लेढि जिघ्रति में सहाय-भ. रामनी सुश्रीव. (स्त्री.) शुद्धि, संक्षिप्य करोत्युनतमासनम्-भामि० १।९९ । रोगियो, સ્વછન્દપણું. એક સ્થાવર ઝેર, એક જાતનું સારસ પક્ષી, રતિબંધ, मर्त्त पुं. (म्रियतेऽसौ, मृ+तन्) मनुष्य, प्रा०, मृत्युदोड. संभोग, भैथुन.
मर्तव्य त्रि. (मृ+कर्मणि तव्यच्) भ२वा वाय, भ२॥ने मर्कटक पुं. (मर्कट+स्वार्थे क) 6५२नो अर्थ, में | ___ योग्य. જાતનું માછલું, એક દૈત્ય.
मर्तुकाम, मर्तुमनस् त्रि. (मत्तु कामो यस्य/मत्तुं मनो मर्कटतिन्दुक पुं. (मर्कटप्रियस्तिन्दुकः) में तन | __ यस्य) भरवानी वाणु, भ२वा याना२. पीसुडी.
मर्त्य पुं. (म्रियतेऽत्र, मतॊ भूलोकस्तत्र भवः यत्) मर्कटपिप्पली स्त्री. (मर्कटस्य पिप्पलीव) मारो मनुष्य -क्षीणे पुण्ये मर्त्यलोकं विशन्ति' - વનસ્પતિ.
गीतायाम् ९।२१। प्रul., मास.. (त्रि. मत भूलोके मर्कटप्रिय पुं. (मर्कटस्य प्रियः) 2. तनु काउ. भवः, मर्त्त+यत्) भूदाभ पृथ्वीभ थन२. (न.) मर्कटबन्ध पुं. (मर्कटस्य बन्धः) वान२नो अन्ध शरीर, है- तस्या स्तद्योगविधूतमात्यं मर्त्यमभूत् मर्कटवास, मर्कटवासक पुं. (मर्कटस्य ऊर्णनाभस्य सरित्-भाग० ३।३३।३१।।
वा वासः/मर्कटवास+स्वार्थे क) रोगियानी 14, मर्त्यमुख पुं. (मर्त्यमुखमिव मुखमस्य) में 6५४५, વાંદરાનું રહેઠાણ.
&ो हेव. मर्कटवासस् न. (मर्कटस्य वासः) रोगियानी. दानो मर्द न. (मृद्+अच्) डन तिर्नु 6पयोगी dideu.
6५४२५. मर्कटशीर्ष न. (मर्कटस्य वानरस्य शीर्षमिव) हिंगोs. | मर्दक पुं. (मर्द+संज्ञायां कन्) मे.तन आउमे. मर्कटास्य पुं. (मर्कटस्य आस्यमिव वा रक्तत्वात्) | वनस्पति. (त्रि. मृद्+कञर्थे ण्वुल्) भईन. ४२८२, दार. २२, रातो २०. (न. मर्कटस्य आस्यम् मर्कटस्य । દાબનાર. आस्यमिव वा रक्तत्वात्) वानरर्नु भुज, dij. मर्दन न. (मृद्+ भावे ल्युट) मईन ४२, धन, योज (त्रि. मर्कटस्य आस्यमिव आस्यं यस्य) वान२ सेवा ___-द्रक्ष्ये क्षितिजसङ्घानां मर्दनं त्रिदशेश्वरम् - भुपवाj. (त्रि. मर्कटास्य+अस्त्यर्थे अच्) राता | महा० १३।१४ ॥३७२। यूए ४२. रंगवाj.
मर्दनक न. (मर्दन+संज्ञायां कन्) तेस. मर्कटिका स्त्री. (मर्कटी+स्वार्थे क+टाप् कापि ह्रस्वः) | मर्दनीय त्रि. (मृद्+कर्मणि अनीयर) महन. ४२६॥ योग्य,
सघाउ वनस्पति, शवली, मर्कटी २०६ मी. | योगवा साय.. मर्कटी स्त्री. (मर्कटोऽस्त्यस्याः स्निग्धत्वेन, अच्+गौरा. | मर्दल पुं. (मर्द मर्दनं लाति, ला+क) मे वाहित्र,
डीष) अभी६, अघाट, ४२०४y, , पिंगलोर -मृदङ्गानकशङ्खानां मर्दलानां च निःस्वनैःછન્દ શાસ્ત્ર પ્રસિદ્ધ મર્કટીચક્ર, કવચનાં બીજ. महा० ८।४४।११।
(स्त्री. मर्कट+स्त्रियां जाति. ङीष्) पानी. मर्दित त्रि. (मृत्+कर्मणि क्त) महन. ४३८, हार, मर्कटीकण्ठ पुं. (मर्कटीकण्ठमिव कण्ठमस्य) वनस्पति jथे.स. २९ ४३८- तिन्तिडीफलरसेन मर्दितो रामबाण રાતો અઘાડો.
। इति विश्रुतो रसः-भावप्र० ।
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