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शोणितचन्दन-श्याम] शब्दरत्नमहोदधिः।
२००५ शोणितचन्दन न. (शोणितवत् चन्दनम्) २aixvil, | शोधिका स्त्री. (शोध+कन्+टाप् अत इत्वं) ती.
२६तयंहन. शोणितप पुं. (शोणितं पिबति, पा+क) राक्षस. (त्रि.) | शोधित त्रि. (शोध्यते स्म, शुध+णिच्+क्त) शोधेद, લોહી પીનાર.
શુદ્ધ કરેલ, સાફ કરેલ, સ્વચ્છ કરેલ, પવિત્ર કરેલ, शोणितपुर न. (शोणितमिव रक्तं पुरम्) मा uसु२न.. સંસ્કાર કરેલ. રાજધાની.
| शोध्य त्रि. (शध+णिच+यत) शद २वा योग्य. संसार शोणिताभिध न. (शोणितेत्यभिधा यस्य) २२. २॥ योग्य (पुं.) मारोपथी. पोताने. याच शोणितोपल न., शोणोपल पुं. (शोणितं उपलम्।। २२ आरोपी. __ शोणश्चासौ उपलश्च) मा., ५५.२५२५-२४, मा. शोफ पं. (सु+फन्) साठी, २सोटी. शोणिमन् पुं. (शोण+इमनिच्) २duAj, eurl, cuu..
| शोफनाशन पुं. (शोफं नाशयति, नश्+णिच्+ल्यु) शोथ, शोथक, शोफ पुं. (शु+थुन्/शोथ एव+स्वार्थे नीस वृक्ष. ___क/शु+फन्) ५५ वर्ग३भा सोनी रोग, सोलो... शोभन न. (शोभते इति शुभ+ ल्यु) 5म, शुभ थवा शोथघ्न त्रि. (शोथं हन्ति, हन्+टक्) सोठी तारना२.
भोटे अपातो मसि. (न. शुभ्+भावे ल्युट) सौ.न्य शोथनी, शोफघ्नी, शोथजिह्न पुं. (शोथं हन्ति,
शोमा, मनोह२, दावश्यमय. (पुं. शुभ+ल्यु) ज्योतिष हन्+ टक्+डीप्/शोर्फ हन्ति, हन्+टक् शोथे जिह्नः)
प्रसिद्ध मेड योग, शुभ, शिव. (त्रि. शोभते, સાટોડી વનસ્પતિ, સાલપાન વનસ્પતિ.
शभ+ल्य) साई. सं.२, शोमावाण. शोथजित्, शोथहत्, शोफजित्, शोफहत्, पुं. (शोथं
शोभनक पुं. (शोभन+संज्ञा. कन्) स२गवान 13. जयति, जि+क्विप् तुक् च/शोथं हरति, ह+क्विप्
शोभना स्त्री. (शोभन+स्त्रियां टाप) १६२, रोयन. ___ तुक्) भिवा .
श्मश्रु न. (श्म पुं. मुखं श्रूयते लक्ष्यतेऽनेन, श्रु+डु) शोथिन् त्रि. (शोथोऽस्त्यस्य इन्) सोना रोगाणु.
पुरुषनी भूछ, हाही. (-ज्योतिष्कणाहतश्मश्रु-"श्वासः पिपासा च्छर्दिश्च दौर्बल्यं ज्वर एव च ।
कण्ठनालादपातयत् रघु० १५।५२। यस्य चान्ने रुचिर्नास्ति शोथिनं तं विवर्जयेत्" ।।
श्मश्रुकर्मन् न. (श्मश्रोः कर्म) मत. शोधक, शोधिन् त्रि. (शुध्+कर्बर्थे ण्वुल्। शुध्
श्मश्रुमुखी स्त्री. (श्मश्रु मुखे यस्याः ङीष्) ही भूपाणी णिच्+णिनि) शोध ४२ ना२, शोधना२, सुधारन८२,
ત્રી. પુરુષના ચિહ્નવાળી સ્ત્રી. બાદ કરવાનો અંક. शोधन न. (शोधयति, शुध+णिच्+ल्यु भावादी ल्युट्
श्मश्रुल त्रि. (श्मश्रु विद्यतेऽस्य लच्) हाढी-भूछवाj .
भल्लापवर्जितैस्तेषां शिरोभिः श्मश्रुलं महीम् (तस्तार) वा) शुद्ध ४२, शjि , शौय, विषय, २05सी., મળ વગેરેનું વિરેચન, દોષ નિવારણ, કરજ અદા
-रघु० ४।६३। કરવું, બાદ કરવું, વિહિત-અવિહિત માસ વગેરેનો
श्मश्रुवर्द्धक पुं. (श्मश्रु वर्द्धयति छिनत्ति, वृध्+ण्वुल्) વિચાર કરવો, સંસ્કાર કરવો, વાળવું, ઝાડવું, સાફ
घiयd, म.. ४२j, स्व२७ ४२, पवित्र. ४२. (पुं. शोधयति,
श्मील् (भ्वा. प. अ. सेट-श्मीलति) नेत्र भीय, शुध्+णिच्+ ल्यु) वी, यून.. (त्रि.) शोधना२, शुद्ध
મીંચાવું.
श्मीलन, श्मीलि न. (श्मील+भावे ल्युट्/श्मील+इ) ४२८२, सुधारना२, माह ४२२. शोधनी स्त्री. (शोध्यतेऽनया शुध् + णिच् + करणे
નેત્ર મીંચવું, મીંચાવું. ल्युट् + ङीप्) सव.२९, ना२वेद, जी, नेपणानु,
श्मीलित त्रि. (श्मील+कर्मणि क्त) नेत्र भोयर, 53.
મીંચાયેલ. शोधनीबीज न. (शोधन्या बीजमिव बीजं यस्य) नेपणानं श्यान त्रि. (श्यै+क्त) संजय पामेल, घन. थयेस, बी.
सुस गये, 60 गयेद, भी गयेर (न.) धुमा.. शोधनीय त्रि. (शुध+कर्मणि अनीयर) शोधवा योग्य, श्याम पुं. (श्य+मक्) वृद्धा२४ वृक्ष, प्रयागतीर्थमा શુદ્ધ કરવા યોગ્ય, બાદ કરવા લાયક.
मावतो . 3 -अयं च कालिन्दीतटे वट: श्यामो
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