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१९९६ शब्दरत्नमहोदधिः।
[शुभ्रदन्ती-शुष्कता शुभ्रदन्ती स्त्री. (शुभ्राः दन्ताः यस्याः) स॥२६idatri | शुश्रुवस् त्रि. (श्रु+क्वसु-द्वित्वम्) Aiमनार, श्रव.
स्त्री, वायव्यन हिमनी स्त्री, पुष्पहत नामानी. २२ - स शुश्रुवान् तट क्चनं मुमोह राजा सहिष्णुः &tull.
मुतविप्रपोगम्-भट्टि० १।२०। शुभ्ररश्मि, शुभ्रांशु पुं. (शुभ्राः रश्मयः यस्य/शुभ्राः । शुश्रू (स्त्री.) भा, भात, "शशोः शुश्रूषणात् शुश्रूः" - अंशवो यस्य) यन्द्र, पू२.
महाभारते । शुभ्रा स्री. (शुभ्र+अच्+टाप्) पावानी में. ५४ाध, | शुश्रूषक त्रि. (श्रु+सन्+कर्थे ण्वुल्) सinal ___गंग नही, सा४२, वंशवायन, इ2531, टिमल... ६२७नार, से, सेवना२. शुभ्रालु पुं. (शुभ्रश्चासौ आलुश्च) धीमो मासु, महिषन्६ | शुश्रूषण न., शुश्रूषणा स्त्री. (श्रु+सन्+ल्युट शुश्रुष+ल्युट् वनस्पति.
वा/श्रु+सन्+ल्युट्+टाप्) सivणवा २७, सेव, शुभि पुं. (शुभ+क्रि) 4.
सेवा ४२वी. शुम्भ पुं. (शुम्भ+अच्) त. नामनो में राक्षस.. (न.) al. | शुश्रूषत् त्रि. (श्रु+सन्+वर्तमाने शतृ) Aiceman २७तुं, शुम्भघातिनी, शुम्भमथिनी, शुम्भमर्दिनी स्त्री. (शुम्भं सेवतुं, सेवा २. हन्ति, हन्+इनि+ङीप् घातादेशः/शुम्भं मथ्नाति, शुश्रूषा स्त्री. (श्रु+सन्+अ+टाप्) सेवा, यारीमथ् + इनि+ ङीप/शुम्भं मृद्नाति, शुम्भ "शुश्रूषाऽपि समाहितेन मनसा पित्रोर्न संपादिता". मृद्+मिनि+ङीप्) दुहवी.
भर्तृ० । समान २७, , - अत एव शुम्भपुरी (शुम्भस्य पुरी) त नामर्नु मे श२-शुभदापुर. शुश्रूषा मां मुखरयति-मुद्रा० ३।-शुश्रूषा श्रवणं चैव शुर् (दिवा. आ. स. सेट्-शूर्यते) भा२, थमाव... ग्रहणं धारणं तथा । ऊहापोहोऽर्थविज्ञानं तत्त्वज्ञानं शुल्क (चु. उभ. सक. सेट-शुल्कयति-ते) alaj, च धीगुणाः-कामन्दकीये ४।२२।
छोsj, भगव, सई, luj, हे.. शुश्रूषापर त्रि. (शुश्रूषायां परः) 215री. ४२वाम तत्५२, शुल्क पुं. न. (शुल्क्+घञ्) ४d- कः सुधीः संत्यजेद् सोमवा तैयार.
भाण्डं शुल्कस्यैवातिसाध्वसात्- हितो० ३।१२५ । ४२, | शुष (दिवा. प. अ. अनिट्-शुष्यति) सुडाई ४, सूई લગ્નકાલ વગેરેમાં કન્યાપક્ષવાળા કન્યા આપી - तृषा शुष्यत्यास्ये पिबति सलिलं स्वादु सुरभिવ૨પક્ષવાળા પાસેથી જે ધન લે છે તે. | भर्तृ० ३।१२। "अशुल्कोपहतायास्तु पिण्डदावोढुरेव ते ।"-स्मृतिः । शुष पुं., शुषी स्त्री. (शुष्+क/शुष् ङीप्) ५, ६२, -न कन्यायाः पिता विद्वान् गृह्णीयात् शुल्कमण्वपि
नटान गढीयात शल्कमण्वपि- | छिद्र. स.वि. मनु० ३।५१। 2. तनु, स्त्रीधन, मूल्य, मत, शुषि स्त्री. (शुष्+क) ५०५२, २०३32, छिद्र, सपना સંભોગ માટે સ્ત્રીને અપાતું દ્રવ્ય.
વિષવાળા દાંતનો પહેલો ભાગ. शुल्कस्थान न. (शुल्कस्य स्थानम्) यi xstd-२ शुषिर न. (शुष्+किरच्) छिद्र, diसजी बो३ छिद्रवाणु વગેરે લેવાતું હોય તેવું સ્થલ, જેના ઉપર જકાત वाध, थी. वागतुं वाघ. (त्रि. शुषि+अस्त्यर्थे रच्) લેવાની હોય તે ચીજ.
छद्राणु.. (पुं. शुष्+किरच्) 6४२, शनि, यित्रानु शुल्काध्यक्ष पुं. (शुल्कस्य अध्यक्षः) ६ लेना२ . અધિકારી.
शुषिरा स्त्री. (शुषिर+स्त्रियां टाप) नही, नदी नामे गन्ध द्रव्य.. शुल्व् (चु. उभ. स. सेट-शुल्वस्वति-ते) ५g, हे, | शुषिरी स्त्री. (शुषिर+स्त्रियां जाति. ङीष्) 6४२७.. भाप.
शुषिल पुं. (शुष्+उणा. इलच्) वायु. शुल्व् न. (शुल्व+अच्) dij, समूड, 413, | शुष्क त्रि. (शुष्+क्त यद्वा उणा० कक्) सूई माया२, धर्म, हो.
गयेj- शुष्कं पर्युषितं वापि नीतं वा दूरदेशतःशुल्वा स्त्री. (शुल्व+टाप) होरी.
स्कान्दे । शाखायां शुष्कं करिष्यामि-मृच्छ० । (न. शुल्वारि पुं. (शुल्वस्य ताम्रस्य अरिः तस्य जारकत्वात्) | . शुष्+भावे क्त) सूईया, सु. ४... गंध..
शुष्कता स्त्री., शुष्कत्व न. (शुष्कस्य भावः तल+टाप्शुशुमा (स्त्री.) शुभयान. पल्ली.
त्व) सुजये.दा .
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