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वृषाकर-वृहत्कन्द
शब्दरत्नमहोदधिः।
१९२७
वृषाकर पुं. (वृषस्य सामर्थस्याकरः) 36. वृष्य त्रि. (वृषाय कामुकाय हितः, वृष्+यत्) 40.1२४, वृषाङ्क पुं. (वृषः अङ्कोऽस्य) शिव, नपुं.स., वामानु । वायनी वृद्धि ४२८२ (पुं. वृषाय हितः, वृष्+यत्) ___ , साधु. (त्रि.) घर्मिष्ठ, पुथ्यवान...
३४. (न. वृष्+क्यप्) वा®४२९ औषध, वृषायण पुं. (वृषे अयनमस्य) . तनो य४८, કામોદ્દીપક. शिव.
वृष्यकन्दा स्त्री. (वृष्यः शुक्रवर्धकः कन्दो यस्याः) वृषाहार पुं. (वृषो मूषिको आहारो यस्य) aa32. વિદારી કંદ વનસ્પતિ. वृषाहारी स्त्री. (वृषाहार+स्त्रियां जाति. डीए) लिया... वृष्यगन्धा स्त्री. (वृष्यां गन्धो यस्याः) वृद्ध६२४-१२धागो वृषि, वृषी स्त्री. (वृष्+कि/वृष+कि+वा ङीप्) प्रत. वनस्पति. પાળનાર સંન્યાસી કે બ્રહ્મચારીના દર્ભનું એક જાતનું
वृष्यगन्धिका स्त्री. (वृष्यो गन्धो यस्याः स्वार्थे कन्+टाप् सासन.
___ अत इत्वम्) सतिण वनस्पति. वृषिन् (पुं.) भोर.
वृष्यवल्लिका, वृष्यवल्ली स्त्री. (वृष्या चासौ वल्लिका वृषोत्सर्ग पुं. (वृषस्य उत्सर्गः) भ३८. वर्ग३२. 6देश.
___च/वृष्या वल्ली) विहरी ६ वनस्पति. તેના પુત્ર વગેરેથી વાછરડો પરણાવવો તે, વિધિ
वृष्या स्त्री. (वृष्+क्यप्+टाप्) मनदी, शतावरी, सनम प्रभारी बहने छूटी ४२वामां आवे.ते- 'एकादशाहे
નામે ઔષધિ, ઋદ્ધિ નામની ઔષધિ.
| वह (च. उभ. अ. सेट-वहयति-ते/भ्वा. प. अ. सेटप्रेतस्य यस्य चोत्सृज्यते वृषः । प्रेतलोकं परित्यज्य स्वर्गलोकं च यच्छति ।।
वृहति) ६५, प्र.श. (भ्वा. प. अ. सेट-वृहते/ वृषोपगा स्त्री. (वृषमुपगच्छति, उप+गम्+ड+टाप्)
भ्वा. प. स. सेट-वर्हते) (lथीनl) २०६ ४२वी,
वधवं. બળદ પાસે જનારી ગાય, પુરુષ પાસે જનારી સ્ત્રી. वृष्ट पुं. (वृष्+क्त) वरसेवा, व२सतो, धोधमा२ ५२सेतो.
वृहचञ्चु पुं. (बृहती चञ्चुरिव मञ्जरी यस्य) मे.
तनुं us. (पुं. वृहत् उदारं चित्तं यस्मात् यस्य वृष्टि स्त्री. (वृष्+क्तिन्) ५२साह, 4२स ते
वा) पीटीशन जार. (त्रि. (वृहत् उदारं चित्तं यस्य) आदित्याज्जायते वृष्टि वृष्टेरनं ततः प्रजाः-मनु०
भोटा भनवापुं. (न. वृहच्च तत् चित्तं च) भोटुं ३७६। मेघ वर्ग३थी. सिंयात. भूमि.
भन. वृष्टिकर त्रि. (वृष्टिं करोति, कृ+अच्) ५२२५६ ४२८२,
वृहच्छरीर न., वृहत्काय पुं. (वृहच्च तत् शरीरं च/ વરસાવનાર.
वृहश्चासौ कायश्च) भोळे (त्रि. वृहत् शरीरं यस्य, वृष्टिकाल पुं. (वृष्टेः कालः) १२साहन समय,
वृहत्काय, त्रि.) शरीर, भोट! शरीरवाणु. वृष्टिनी स्त्री. (वृष्टि हन्ति कारणत्वेन जहाति, हन्+क
वृहच्छल्क पुं. मोटु (वृहत् शाल्को यस्य/वृहती काया डीप) sी मेलय..
यस्य) . तनु भा७९. वृष्टिजीवन पुं. (वृष्टिः वृष्टिजलमेव जीवनं पालनोपायो
वृहज्जन पुं. (वृहच्चासौ जनश्च) मोटो मास.. यस्य) यात ५६. (त्रि.) ४६.५ ५२६ 6५२ वृहड्ढक्का स्री. (वृहती चासौ ढक्का च) मोठं ना. આધાર રાખનાર દેશ વગેરે.
वृहत्, वृहत्क त्रि. (वृह + अति/वृहन् प्रकारः वृष्टिभू त्रि. (वृष्टौ तदुपलक्षितकाले भवति, भू+क्विप्) । वृहत्+संज्ञा०) मोटु, विun. है, व२साम थना२-डोना२.
वृहतिका स्त्री. (वृहती+संज्ञा० कन्+टाप् हुस्वः) उत्तरीय वृष्टिमत् त्रि. (वृष्टि+अस्त्यर्थे मतुप्) ५२६वाणु, वस्त्र, शगए., मोशगए.. 4.२सात...
कृहती स्त्री. (वृहत्+गौरा. ङीष्) भाटी स्त्री, नानी वृष्टिवैकृत न. (वृष्टेः वैकृतम्) 6पद्रवसूय वृष्टिना 0ए0, पीनी. आरी वगेरे, मोशी , वा, वि.८२.
સરસ્વતી, નવ અક્ષરના ચરણવાળો છન્દ. वृष्णि पुं. (वृष+नि-किच्च) याहवंशी. मे २t, / वृहतीपति पुं. (वृहत्याः पतिः) पृडस्पति.
श्री , मेघ, भोथ, गरम, 6, ५0, घेटो. | वृहत्कन्द पुं. (वृहत् कन्दं यस्य) २0%४२, विशुन्६.
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