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मत्सर - मत्स्योदरी ]
शब्दरत्नमहोदधिः ।
१६५५
मत्सर पुं. ( मद्+सरन्) श्रीमना शुलनो द्वेष रखो | मत्स्यनाशकी, मत्स्यनाशनी स्त्री. (मत्स्यनाशक + स्त्रियां श्रीभनी संपत्ति सहन न ४२वी- अदत्तावकाशो
ङीष् / (मत्स्यनाशन + स्त्रियां ङीष्) टीटी.डी. मत्स्यपित्ता, मत्स्यवित्रा स्त्री. ( मत्स्यस्य पित्तमिव रसोऽस्त्यस्याः अच्+ टाप्/विद् लाभे + क्त मत्स्यो मत्स्यरसो वित्र यया ) उडु वनस्पति. मत्स्यबन्धक त्रि., मत्स्यबन्धिन् पुं. (मत्स्यान् बध्नाति,
बन्ध् + ण्वुल्/मत्स्यान् बन्धुं धतुं शीलमस्य मत्स्य+बन्ध+ इनि / त्रि. मत्स्यान् बध्नाति बन्ध् + णिनि) માછલાં પકડનાર, મચ્છીમા૨, એક વર્ણસંકર જાતિ. मत्स्यबन्धिनी स्त्री. ( मत्स्यबन्धिन् + स्त्रियां ङीष्) भाछसां પકડવાની જાળ.
मत्सरस्य का० ४५। परवृद्धिषु बद्धमत्सराणाम्किरा० १३ । ७ । डोध, मत्सर, पोताना उपर विहारतिरस्॥२- निन्दन्ति मां सदा लोको धिगस्तु मम जीवनम् । इत्यात्मनि भवेद् यस्तु धिक्कारः स च मत्सरः- पाद्मे क्रियायोगसारे । (त्रि. मत्सर + अच्) द्वेषी, डोधी, हृपा, बोली. मत्सरा स्त्री. ( मत्सर +टाप्) भाजी, भ२७२. मत्सरिन् त्रि. (मत्सर + अस्त्यर्थे इनि) द्वेषी - परवृद्धिमत्सरि मनो हि मानिनाम्- शिशु० १५1१। ओधी, प स्वार्थी, दुष्ट- दुष्टात्मा परगुणमत्सरी मनष्यःमृच्छ० ९।२७।
मत्सी स्त्री. (मत्स + स्त्रियां ङीष) भाछी.. मत्स्य, मत्स्यक पुं. (माद्यन्ति लोका अनेन, मद् + उणा. स्यन्/(मत्स्य+स्वार्थे क) भाछसुं- शूले मत्स्यानिवा पक्ष्यन् दुर्बलान् बलवत्तराः- मनु० ७।२०। मत्स्यकरण्डिका (स्त्री.) माछयां राजवानो रेडियो. मत्स्यगन्धा स्त्री. ( मत्स्यस्येव गन्धोऽस्याः) व्यासनी भाता सत्यवती, ४सपीपर.
मत्स्यान्धा, मत्स्यघण्ट, मत्स्यसंतानिक (पुं.) खेड પ્રકારનું માછલાંનું શાક.
मत्स्यघात पुं. ( मत्स्यानां घातः) भाछसां भारवां ते. मत्स्यजाल पुं. (मत्स्यधारणं जालम्) भाछसां पडडवानी
भज
मत्स्यजीविन् पुं. (मत्स्येन तद्धारणविक्रयादिना जीवति जीव + णिनि ) भरछीमार, निषाह. मत्स्यण्डिका, मत्स्यण्डी स्त्री. (मत्स्यण्ड + स्वार्थे कन्+टाप् ह्रस्वः) खेड भतनो गोजनो विहारसा२- ही ही इयं सीधुपानोद्वेजितस्य मत्स्यण्डि - कोपनता - मालवि० ३ | यासशी- इक्षो रसो यः संपक्वो घनः किञ्चिद्रवान्वितः । मदवत् स्यन्दते यस्मान्मत्स्यण्डीति निगद्यते' - भावप्र० । मत्स्यद्वीप पुं. (मत्स्यप्रधानो द्वीपः ) ते नाभे खेड द्वीप, मत्स्यधानी स्त्री. (मत्स्या धीयन्तेऽत्र, धा+ ल्युट् + ङीप्) માછલાં રાખવાનું પાત્ર.
मत्स्यनाशक, मत्स्यनाशन पुं. ( नाशयति, मत्स्यान् नश्+ णिच्+ण्वुल् मत्स्यानां नाशकः नश् + ल्यु) टीटीडी पक्षी (त्रि. मत्स्यान् नाश्यति, नश् + णिच् + ण्वुल् + नश् + ल्यु) भाछसांनी नाश इरनार.
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मत्स्यमुद्रा (स्त्री.) यूभना संग३५ खेड मुद्रा. मत्स्यरङ्ग, मत्स्यरङ्गक पुं. (मत्स्ये रजति, रज् + कर्त्तरि
संज्ञायां घञ्/(मत्स्यरङ्ग + स्वार्थे क) खेड पक्षीविशेषत्रिभुवनविदितो हा मत्स्यरङ्गे कलङ्कः- उद्भटः । मत्स्यरङ्गी स्त्री. ( मत्स्यरङ्ग+स्त्रियां जाति. ङीष्) खेड
पक्षिशी..
मत्स्यराज पुं. (मत्स्येषु राजा श्रेष्ठः समासान्तष्टच्)
રોહિત મત્સ્ય, વિરાટ રાજા, મત્સ્ય દેશનો રાજા. मत्स्यवेधन न., मत्स्यवेधनी स्त्री. (मत्स्यो विध्यतेऽनेन, विध्+करणे ल्युट् / मत्स्यवेधन + स्त्रियां ङीप् ) भाछसां वींधवानी खांडडी-झांटो (पुं. मत्स्यो विध्यतेऽनेन, fay+chrift my) als uall. मत्स्यसंघात पुं. (मत्स्यानां संघातः) भाछवांनी समूह. मत्स्याक्षी स्त्री. (मत्स्यस्याक्षीवाकारोऽस्याः षच् समा.
ङीष्) भेड भतनी प्रोजउ, सोमलता, हिसमोयिडा वनस्पति, ब्राह्मीनुं शा. मत्स्याङ्गी स्त्री. ( मत्स्यः तत्पित्तमिवाङ्गं यस्याः ङीष्)
એક પક્ષિણી.
मत्स्याद, मत्स्याशन त्रि. (मत्स्यमत्ति, अद्+अण् /
मत्स्यमनाति, अश्+ल्यु) भाछसां जानार, जयपर. मत्स्यादनी स्त्री. (मत्स्य इवाद्यते आस्वाद्यते, अद्+कर्मणि ल्युट् + ङीप् ) खेड पक्षी.
मत्स्याशनी पुं. (मत्स्यमनाति, अश्+ल्यु) भेड पक्षिणी. मत्स्यासन न. ( मत्स्याख्यं आसनम्) खेड भतनुं खासन. मत्स्योदरी स्त्री. ( मत्स्यगन्धयुक्तमुदरमस्याः) व्यासनी
भाता सत्यवती नाम्ना कालीति विख्याता तथा मत्स्योदरी तथा देवीभा० २।१।३८ । अशीमां स्थित खेड तीर्थ.
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