________________
लम्ब-लयन
शब्दरत्नमहोदधिः।
१८०३
२१-ययौ तदीयामवलम्ब्य चागुलिम् रघु० ३।२५। | लम्बन (लबि+ल्यु) नामि. सुधी 423. भाग-२ भ६६ वी, भरोसो. २५वी- किं स्वातन्त्र्यमवलम्बसे- __कोरे, आश्रय देवो त. शकुं० ५।- माध्यस्थमिष्टेऽप्यवलम्बतेऽर्थे-कुमा० । लम्बमान त्रि. (लम्ब्+कर्मणि शानच्) 123तुं, झूलतुं१५२। आ+लम्ब्- आलम्बते -माराम ४२वी, भूsj, “शशाङ्कबिम्बतो मेरौ लम्बमान इवोरगः" - रसगङ्गाधरे। (423, 4.53j- अथालम्ब्य धनू रामः-भट्टि०६।३५।। लम्बा स्री. (लबि+अच्+टाप) 33वी. तुं451, 4क्ष्मी, ४मारी वी- आधोरणालम्बितम्- रघु० १८१३९। ગૌરી, દક્ષની એક કન્યા, હિમાલયની કન્યા. निम२ डोj- तमालम्ब्य रसोद्गमान्-सा०द० ६३।। लम्बिका (स्री.) 43 . धा२९॥ २, म६६ सेवा- अमुमेवार्थमालम्ब्य न | लम्बित त्रि. (लबि+कर्मणि क्त) 4234- त्वदधरचुम्बनजिजीविषाम्-मुद्रा० २।२०। उद्+लम्ब-उल्लम्बते- लम्बितकमुज्ज्वलय प्रियलोचने ! बहिशोऽयं त्वया सीधा मा २३, - पादेनैकेन गगने, | ग्रस्तः कालसूत्रेण लम्बितः-महा० ३१५७।४२। द्वितीयेन च भूतले, तिष्ठाम्युल्लम्बितस्तावद् | आश्रित. यावत्तिष्ठति भास्करः-मृच्छ० २।१०। वि+ | लम्बुषा (स्त्री.) सात सेरनी हार. लम्ब-विलम्बते- 123j, मस्त पाम, ५७॥j, वा२ लम्बोदर पुं. (लम्ब दीर्घमुदरं यस्य) पतिबारावी, मंहगतिथवी- बिलम्बितफलैः कालं निनाय मुखबन्धमात्रसिन्धुर ! लम्बोदर ! किं पदं बहसिस मनोरथैः . रघ० ११३३।-किं विलम्बयति त्वरितं आर्यास० १९८। (त्रि. लम्बं उदरं यस्य) Cialतं प्रवेशय-उत्तर० १।
મોટા પેટવાળો. लम्ब पुं. (लबि+अच्) 12, 12वी, आन्त, अंग, वय, लम्बोदरी स्री. (लम्बं दीर्घमुदरं यस्याः ङीष्) ता२८ રિશ્વતું. અંકશાસ્ત્રમાં કહેલ ત્રણ ભુજાવાળા ક્ષેત્ર | નામે દેવી. वो मुनी स.न. एन. वय्ये. 423तुं से लम्बोष्ठ पुं., त्रि. लम्बौष्ठ पुं., (लम्बौष्ठ-लम्बौ ओष्ठौ
तनु जासूत्र- "स्वाबाधाभुजकृत्योरन्तरमूलं प्रयाजते । यस्य) 12- युगान्तो बाह्यकश्चाथ लम्बोष्टो लम्बः । लम्बगुणं भूम्यर्धं स्पष्टं त्रिभुजं फलं भवति"- _वसवस्तथा-प्रयोगसारे । खialोवाणु.. लीलावती ।
लम्बोष्ठी, लम्बोष्ठी स्त्री. (लम्बोष्ठ+स्त्रियां जाति. लम्बकर्ण पु. (लम्बौ कौ यस्य) लो., .४२, | ___ ङीष्) 6/z3n. ससटुंलम्बकर्णः शशः शूली लोमकर्णो बिलेशयः- लम्भन न. (लभ+ ल्युट, नुम्) सिद्धि, इशन प्राप्ति. वैद्यकम् । हाथी, राक्षस, पक्षी, 2ीट वृक्ष, राधे लम्भा (स्त्री.) . तनी. वा. (पु. लम्बश्चासौ कर्णश्च) Rict-23तो न | लम्भित न. (लभ्+क्त, नुम्) प्राप्त, भगव्यु, 6ust, (त्रि. लम्बौ कौँ यस्य) लेने aian 4.23du आन | सुधारेलु, प्रयुस्त, दु, संबोधित. डोय ते.
लय (भ्वा. आ. सक. सेट-लयते) ४. लम्बकर्णी स्त्री. (लम्बकर्ण+स्त्रियां जाति ङीष्) 4., लय पुं. (ली+अच्) संश्लेष, दीनता, विनाश 20, राक्षसी, 4.४ ५क्षिए..
(पुं. लीयन्ते श्लिष्यन्तेऽनेनेति, लयन्ति व्रजन्ति लम्बकेश त्रि. (लम्ब: दीर्घः केशो यस्य) icuशवाणु, गीतादयोऽत्रेति वा, ली+अल्) नृत्य-गीत-वाधन
aastu शवाणु (लम्बश्चासौ केशश्च) in A, मतानता ३५. साम्य - गीतवाद्यपादन्यासानां 12sal श- ऊर्ध्वकेशो भवेद् ब्रह्मा लम्बकेशस्तु क्रियाकालयोः परस्परं समता लयः-सुबोधिनीटीका।विष्टरः । दक्षिणावर्तको ब्रह्मा वामावर्तस्तु विष्टर:- लयेन वश्यो भगवान् लये लीनो जनार्दनःसंस्कारतत्त्वम् ।
सङ्गीतदामोदरे । (पुं. लीयतेऽत्र, ली+अय) प्रलय लम्बदन्त पुं. (लम्बश्चासौ दन्तश्च) ial tid. 50, श्व२. (त्रि.) भाव२५॥त्म:- यदा जयेद् रजः (त्रि. लम्बो दन्तो यस्य) cial sitain.
सत्त्वे नमो मूढं लये जडम्-भाग० ११।२५।१५। लम्बदन्ता, लम्बबीजा स्त्री. (लम्बो दीर्घो दन्त इव लयकाल पुं. (लयस्य काल:) प्रत्य.51.
बीजकण्टको यस्याः/लम्बं दीर्घ बीजं यस्याः) मेट | लयन न. (ली+ल्युट) आयु, यो2ी. , al. ४j, જાતની પીપર,
माराम, विश्रामस्थण, घ२. Jain Education International For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org