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________________ ११४४ शब्दरत्नमहोदधिः। [द्विनलिकी-द्विपृष्ठ द्विनलिकी (स्त्री.) नागवाज सयभागवाj | द्विपदा, द्विपदिका स्त्री. (द्वौ पादावस्याः टापि पद्भावः। बाए. द्वौ पादौ दण्डौ यत्र वुन् स्त्रीत्वम्) २ पानी द्विनवत, द्विनवतितम त्रि. (द्विनवति+पूरणे डट/द्विनवति ઋચા-વેદની કડી, પાદ જેમાં હોય તેવી એક _ पूरणार्थे तमप्) ujy, ujन संन्याने पू[ ४२४२. विता. द्विनवति स्त्री. (द्वयधिका नवतिः) मा, ना. संध्या . द्विपदी स्त्री. (द्वौ पादौ यस्याः ङीष् पद्भावः) ते. नमानी द्विनिष्क त्रि. (द्वाभ्यां निष्काभ्यां क्रीतम् ठञ् तस्य એક ગીતિ, તે નામનું એક માત્રાવૃત્ત. लुक् अथवा द्वौ निष्को परिमाणमस्य अण् तस्य द्विपमद पुं. (द्विपस्य मदः) डाथीन मह, ते. ना. अ.5 लुक्) . सोनामडोरोथी परीव, निष्ठा सुगन्धी पहा. द्विपर्ण त्रि. (द्वे पणे यस्य) में पi६iवाj. માપવાળું. द्विप पुं. द्वाभ्यां मुखशुण्डाभ्यां पिबति पा+क) हाथी द्विपर्णा स्त्री. (द्वे पणे यस्याः) २. ५६iवाणी मे. वनस्पति. तेजोमहद्भिस्तमसेव दीपैर्द्विपैरसंबाधमयोबभूवे- शिशु० द्विपर्णी स्त्री. (द्वे पणे यस्याः स्त्रियां जातित्वात् ङीष्) ३६७। नामसरन आउ. गदी बो२४.. द्विपक्ष न. (जै. प्रा. द्विपक्ख) २. पक्ष (पुं. द्वौ पक्षौ द्विपात्, द्विपाद् त्रि. (द्वौ पादौ यस्य पादस्य पाद्भावः) यस्य) ५क्षी, भास-मलिनो. (त्रि.) . पक्षवाणु. ५६uj, ५गवाj. द्विपक्षिन् पुं. (द्वौ पक्षौ यस्य इनि) ५क्षी, भास-मलिनो. द्विपात्र न. (द्वयोः पात्रयोः समाहारः) २. वास, द्विपक्षिणी स्त्री. (द्विपक्षिन्+डीप्) ५क्षिी , 90.. पात्र. द्विपञ्चमूली स्री. (द्विधा पञ्चमूली) वनस्पति शमूद. द्विपात्रिक, द्विपात्रीण त्रि. (द्विपात्रं हरति आवहति वा द्विपञ्चाशत् स्त्री. (व्यधिका पञ्चाशत् आत्वाभावः) _ष्ठन्-ख) २. पात्र ६ ना२ 3 वना२. दावन, पावननी. संध्या. द्विपाद त्रि. (द्वौ पादौ वेदे नान्त्यलोपः) मे गवाणु द्विपञ्चाश, द्विपञ्चाशत्तम त्रि. (द्विपञ्चाशत्+पूरणे पान२ ३ ५शु. (.) ते. नामे में. ह. डट/द्विपञ्चाशत्+तमप्) पावनमुं. द्विपाद्य त्रि. (द्वौ पादौ परिमाणमस्य यत् अल्लोपस्य द्विपण्य त्रि. (द्वाभ्यां पणाभ्यां क्रीतम् यत्) २५५थी. स्थानिवत्वात् न पद्भावः) ने पहना ५२मावा. ___मह ४३९. (न.) मम४, ६५ . द्विपत्रक न. (द्वे पत्रेऽस्य संज्ञायां कप्) . ५iमवाणु द्विपाधिप, द्विपाधिपति, द्विपायिन् पुं. (द्विपानामधिपः। म. (पुं. द्वे पत्रेऽस्य कन्) चण्डालकन्द' नामनी द्विपानामधिपतिः/द्वाभ्यां मुखशुण्डाभ्यां पिबति पा+णिनि वनस्पति.. युक्च ) अरावत हाथा, श्रेष्ठ हाथ.. द्विपथ त्रि. (द्वौ पन्थानौ यत्र अ) से भ[atj, द्विपायिनी, द्विपी स्त्री. (द्विपायिन्+स्त्रियां ङीष्/ (न. द्वयोः पथोः समाहारः अव्) २ मा, 1.561 ___ द्विप+जातित्वात् स्त्रियां ङीष्) डाय.. મળેલા બે રસ્તા. द्विपास्य पुं. (द्विपस्यास्यमिवास्यमस्य) गो. द्विपद पुं. (द्वे पदे यस्य) मनुष्य, ४५, ५क्षी-पंजी, द्विपुट पुं. (द्वे पुटे यस्य) सुगंधी धोका सवाj 3. द्विपुरुष त्रि. (द्वौ. पुरुषौ प्रमाणमस्य मात्रचो लुक्) मे રાક્ષસ, રાશિ વિશેષ-મિથુન, તુલા, કુંભ અને કન્યા. પુરુષના પ્રમાણનું, બે પુરુષના માપવાળું, બે માથોડાં -'द्विपदेऽपि चतुर्भेदाः नृदेवपक्षिराक्षसाः' -प्रश्रसारे । પાણીવાળું વગેરે. (न. द्वे पदे) 4. (न. जै. प्रा. दुपद, दुपय) द्विपुरुषा, द्विपुरुषी स्त्री. (द्विपुरुष+स्त्रियां वा ङीप्) uई. (त्रि.) गवाणु. પુરુષના માપવાળી ખાઈ. द्विपदराशि पुं. (द्वे पदे यस्य स चासो राशिश्चेति) द्विपृष्ठ पुं. (द्वौ वंशौ पृष्ठे यस्य/जै. प्रा. दुविठ्ठ) રાશિ વિશેષ-મિથુન, તુલા, કુંભ અને કન્યા, ધનુષનો બ્રહ્મ નામના રાજાથી પેદા થયેલ તે નામનો એક पूर्वमा -'मिथुनतुलाघटकन्याद्विपदाख्याश्चापपूर्वभागश्च' રાજા, આવતી ચોવીસીના ભરતક્ષેત્રના આઠમા ज्योतिस्त० । વાસુદેવ, ચાલુ ચોવીસીના બીજા વાસુદેવ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016068
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages838
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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