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१०९० शब्दरत्नमहोदधिः।
[दुश्चीर्ण-दुष्ट दुश्चीर्ण न. (जै. प्रा. दुचिण्ण) दुष्ट आय२९५-दुश्चरित, | दुष्कर्मन् न. (दुष्टं कर्म) दृष्ट ४, ५- 'दुष्कर्मपरिपाक
दुष्ट 5 डिंस वगेरे. (त्रि. जै. प्रा. दुचिण्ण) हुष्ट | पराभूततया मया' जीवं. च. का. । (त्रि. दुःस्थितं સંચિત – ભેગી કરેલી ખરાબ વસ્તુ.
कर्म यस्य) दुःस्थित ४ ४२२, पापी, दुराय२९. दुश्चेष्टित न. (दुष्टं चेष्टितम्) १२. वत, २५ - 'ततो वसति दुष्कर्मा नरके शाश्वतीः समाः' -
थेष्टा. (त्रि. दुष्टं चेष्टितमस्य) दुराय२९., २ महाभारते ५।१३२।२०। વર્તણૂકવાળું.
दुष्काल पुं. (दुष्टः कालः) हुद-हुज, प्रत्य, दुश्च्यवन पुं. (दुर् दुःखेन च्यवनं बहुकालानन्तरं पतनं भोंचवारी, २५ समय. (पुं. दुष्टः कालः कलनमस्य) यस्य) इन्द्र. (त्रि. दुःखेन च्यवनं पतनमस्य) भु२४८थी.
शिव-महादेव જેનું પતન થાય તે.
दुष्कुल न. (दुष्टं कुलम्) लिन्हित दुस, नीय मुद, दुश्च्याव त्रि. (दुःखेन च्याव्यतेऽसौ, दुर्+च्यु+ मधम. दुस, नीय. मुटुंब -स्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि - णिच्+कर्मणि खल्) उवाने ४४९, तोउवाने 8890.
मनु० २।२३८ । (त्रि. दुष्टं कुलं यस्य) लिन्हित - (पुं.) मडाव, शिव.
दुगवाणु, अधम टुंगवाणु, दुलहीन. दुश्छद त्रि. (दुःखेन छाद्यतेऽसौ दुर्+छद् +खल)
दुष्कुलीन त्रि. (दुष्कुले भवः ख) नाय. सुगम पहा મુશ્કેલીથી ઢંકાઈ જાય તેવું, ઢાંકવાને અશક્ય.
थनार, मधमा मुटुंब उत्पन्न थनार, नीय-पापी.
(पुं.) यो२ नमन गन्ध द्रव्य. दुश्श्रव न. (दुःखेन श्रूयतेऽसौ, दुर्+श्रु+खल्) सालित्य.२॥स्त्र प्रसिद्ध मे तनो व्यहोष. (त्रि.)
| दुष्कृत न. (दुष्टं कृतम्) हु४, ५।५-पात:- उभे દુઃખથી સાંભળી શકાય તેવું.
सुकृत-दुष्कृते भग० २।५०। - सुकृतं दुष्कृतं लोके दुश्शला (स्त्री.) धृतराष्ट्रना ते नामना. मे. पुत्री..
गच्छन्तमनुगच्छति-वह्निपुराणे । (त्रि. दुष्टं कृतमस्य)
हुष्ट वाj, पापी-पाती.. दुश्शासन पुं. (दुस्+शास्+युच्) धृतराष्ट्रनो. ते नाम.न
| दुष्कृति स्त्री. (दुष्टा कृतिः क्तिन्) ५५, ६२।२२५ - मे. पुत्र (त्रि. दुस् दुष्टं शासनं यस्य) हुष्ट
'दुःखं दुष्कृतिनिष्कृतिं सुखमलं संसारसौख्योज्झनम्' શાસનવાળો.
___-आत्मानुशा० । (त्रि. दुष्टा कृतिः यस्य) पी, दुश्शिक्षा स्री. (दुष्टा शिक्षा प्रा. स.) दृष्ट शिक्ष,
દુરાચારી, પાપ કર્મવાળું. ખોટો ઉપદેશ.
दुष्कृतिन् त्रि. (दुष्टा कृतिरस्यास्तीति इनि) थी, दुश्शिला स्त्री. (दुष्टा चासो शिला च) हुष्ट ५८५२,
हुरायारी, ५५ वाणु. ખરાબ ઘંટી, ખરાબ કપૂર.
दुष्कृत्य न. (दुष्टं कृत्यम्) दुष्कृत्य, पा५- उभे सुकृतदुश्शील पुं. (दुष्टश्चासौ शीलश्च) राम ४१२.
दुष्कृते-भगवद्गीता २५०।। (त्रि. दुष्टं निन्दितं शीलमस्य) 40.20. स्व.मा.वाणु,
दुष्क्रीत त्रि. (दुर्दुःखेन क्रीयते स्म इति दुर्+क्री+क्त) ખોટી ચાલચલગતવાળું, દુગુણવાળું, પાષિષ્ઠ. थी. मणेतुं -क्रीत्वा मूल्येन यः द्रव्यं दुष्क्रीतं (न. दुष्टं गर्हितं शीलम्) पोटो-1५२राल स्वभाव, मन्यते क्रयी -प्रायश्चित्ततत्त्वे । भोटी डीमतवाj.. ખરાબ ચાલચલગત.
दुष्ख न. (दुःखनति आविष्करोति, खन्+ड विसर्गस्य दुष् (दिवा. पर अ. अनिट-दुष्यति) दुष्ट थj, वि.t२ षकारः) हुन. પામવું, દુષ્ટ આચરણ કરવું.
दुष्खदिर पुं. (दुष्टः खदिरः) . तनो क्षुद्र-२५०, दुष्कर न. (दुर्दुःखेन क्रियते इति कृ+खल्) 05२...
२. (न. दुःखेन क्रियते भावे खल्) हुथी. ७२ त, दुष्ट त्रि. (दुष्+क्त) हुस, अधम, ४६.ई, दुराय२५, भु.२४८४ थी. ४२ त.. (त्रि. दुःखेन क्रियते, कृ+कर्मणि पित्त वगैरे. होषवाणु, - महाकुलीनाभिरपापिकाभिः खल्) भुवीथी. २राय तेj, ४२वाने. 8. -वने स्रीभिः सतीभिस्तव सख्यमस्तु । चण्डाश्च शौण्डाश्च गत्वा तपस्तप्तं वासुदेवेन दुष्करम् -देवीभाग० ५।१।३; महाशनाच्च चोराश्च दष्टाश्चपलाश्च वज्यो:-वक्तुं सुकरं कर्तुं दुष्करम् -अमरु० ४१।
महा० ३।२३३।११। (न.) ओढनो रोग.
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