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________________ दीर्घरागा-दीर्घसुरती] शब्दरत्नमहोदधिः। १०७३ दीर्घरागा स्त्री. (दीर्घोऽधिककालस्थायी रागो यस्याः । दीर्घवृन्तश्च कध्रङ्गो भल्लूककण्टकोऽरुणः- वैद्यकटाप) १६२. रत्नमालायाम् । दीर्घरात्र न. (दीर्घा बह्वयो रात्रयः सन्त्यत्र) aial | दीर्घवृन्ता स्त्री. (दीर्घवृन्त स्त्रियां+टाप्) मे तनुं मत, घ. समय. (पुं. दीर्घा चासो रात्रिश्च याम. अभिधानात् पुंस्त्वम्) airl रात. दीर्घवृन्तिका स्री. (दीर्घवृन्त+संज्ञायां कन् टाप् अत दीर्घरोमन् पुं. (दीर्घाणि रोमाणि यस्य) श -दीर्घरोमा . इत्वम्) मे५९ नमे वनस्पति. दीर्घभुजो दीर्घबाहुर्निरञ्जनः-हरिवंशे १४ ।२ । मडावना. दीर्घशर पुं. (दीर्घः शरः) यावना, aijal. એક અનુચર, ધૃતરાષ્ટ્રનો એક પુત્ર. (त्रि. दीर्घः शरः यस्य) Aial Guruj. दीर्घरोहिषक न. (दीर्घ रोहिषम् ततः स्वार्थे कन्) .| दीर्घशाखिका स्त्री. (दीर्घा शाखा यस्याः) एलापी જાતનું ઘાસ, સુગંધી તૃણ. નામની વનસ્પતિ, રાસ્ના નામની વનસ્પતિ. दीर्घलोक पुं. (जै. प्रा. दीहलोप) वनस्पतिय. | दीर्घशिम्बिक पुं., दीर्घशिम्बिका स्त्री. (दीर्घा शिम्बिर्थस्य दीर्घलोकशास्त्र न. (जै. प्रा. दीहलोगसत्थ) भनि. कप्/दीर्घा शिम्बी यस्याः कप् टाप् इस्वश्च) 5 दीर्घलोचन न. (दीर्घ च तल्लोचनं च) ij नेत्र छीन 3. वि.व. नेत्र (पुं. दीर्घ आयतं लोचनं यस्य) शिवनो. | दीर्घशूक, दीर्घशूकक पुं. (दीर्घः शूकोऽग्रमस्य/दीर्घः એક અનુચર, ધૃતરાષ્ટ્રનો એક પુત્ર. (ત્રિ.) વિશાલ शूक कप्) मे तन, मन-3iग२, २.न. (न. નેત્રવાળું. दीर्घ शूकम्) isो भय भाग. दीर्घवैताढ्य पुं. (जै. प्रा. दीहवेयड्ड) भरतक्षेत्रमा दीर्घसक्थ त्रि. (दीर्घ सक्थिनी यस्य षच्) ही वाणुઆવેલો દીર્ઘ-લાંબો વૈતાઢ્ય નામનો પર્વત. हीघार. दीर्घवंश पुं. (दीर्घा वंश इव) मे तनु घास-७३. दीर्घसक्थि न. (दीर्घ सक्थि यस्य, अत्र न षच्) अलापर्णी (पुं. दीर्घश्चासौ वंशश्च) isो वंश-पढी.. ___नामनी वनस्पति, Pust, .52. दीर्घवक्त्र न. (दीर्घ च तद्वक्त्रं च) eij भु- 'वक्त्रं दीर्घश्रवस् पुं. (दीर्घ श्रवोऽस्य) ते ना . ऋषि. वक्ति हि मानसम्' –क्षत्रचूडामणौ । (पुं. दीर्घ ____ (त्रि.) is अनवाणु. वक्त्रमस्य) स्त. &था. (त्रि. दीर्घ वक्त्रमस्य) Kict दीर्घश्रवस् न. (दीर्घ श्रवः) aicो. न.. મુખવાળું. दीर्घसत्र न. (दीर्घ बहुकालसाध्यं सत्रम्) Histe. दीर्घवक्त्री स्त्री. (दीर्घवक्त्र+स्त्रियां ङीष्) डथए... सुधी. यावे. तेवो. यश. -कलिमागतमाज्ञाय क्षेत्रेऽस्मिन् दीर्घवच्छिका स्त्री. (दीर्घवत् दीर्पण तुल्यं शीकते सिञ्चति वैष्णवे वयम् । आसीना दीर्घसत्रेण कथानां सक्षमा शोक+क पृषो० हूस्वः) में तनो भोटो भत्स्य. हरे:-भागवते १।१।२१। वन पर्यन्त ४२वानो दीर्घवर्ण पुं. (दीर्घश्चासौ वर्णश्च) हाघ [- मात्रानो माग्निहोम. (न. दीर्घाणि सत्राणि कृतानि यत्र) ते. सक्ष२-400- 'एकमात्रो भवेद् हस्वः द्विमात्रो दीर्घ नामे से तीथ -ततो गच्छेत राजेन्द्र ! दीर्घसत्रं उच्यते' -श्रुतबोधे. यथाक्रमम् । तत्र ब्रह्मादयो देवाः सिद्धाश्च परमर्षयः दीर्घवर्षाभू पुं. स्त्री. (दीर्घा वर्षाभूः) वनस्पति, पाणी दीर्घ सत्रमुपासन्ते - महा० ३८२।१०३-१०४ । साटो (त्रि. दीर्घाणि सत्राणि यस्य) in 4 5२२. दीर्घवल्लिका, दीर्घवल्ली स्त्री. (दीर्घा चासौ वल्ली च | दीर्धसत्रिन् त्रि. (दीर्घसत्रमस्त्यस्य इन्) cial stu. कन्+टाप्) मे तनो वसो, भाउन्द्र, वा२., तर સુધી યજ્ઞ કરનાર, જીવન પર્યન્ત અગ્નિહોત્ર કર્મ ગરુડી લતા, પાલાશી વગેરે. २ना२. दीर्घवृक्ष, दीर्घशाख पुं. (दीर्घः वृक्षः/दीर्घा शाखा | दीर्घसुरत पुं. (दीर्घ बहुकालव्यापकं मैथुनं यस्य) दूत. यस्य) सागर्नु आ3, ताउनु 3, नाणियेरन, 3. | (न. दीर्घ सुरतम्) cism. u.त. यावे. ते भैथुन.. दीर्घवृन्त, दीर्घवृन्तक पुं. (दीर्घं वृन्तमस्य) श्यान दीर्घसुरती स्त्री. (दीर्घसुरत+स्त्रियां जातित्वात् ङीष्) नामर्नु, वृक्ष- श्योणाको भूतपुष्पश्च पूतिवृक्षो मुनिद्रुमः। | तरी.. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016068
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages838
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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