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৩৩০ शब्दरत्नमहोदधिः।
[गुणसम्पत्-गुत्थ गुणसम्पत् स्त्री. (गुणस्य सम्पत्) सुनी. सम्पत्ति, | गुणोत्कर्ष पुं. (गुणस्य उत्कर्षः) गुन वृष्टपशु, અત્યન્ત ઉત્તમ ગુણ.
उत्कृष्ट १ - स्वभावजैर्गुणैर्दिव्यैः कामजैर्बहुलैर्वृत्तः । गुणसम्मूढ त्रि. (गुणैः सम्मूढः) सत्वाहि गु. 43 | भूयस्त्वं गुणोत्कर्षमेते विद्ये करिष्यतः ।। -गोः મોહ પામેલ.
रामा० १।२५।१९। गुणसागर पुं. (गुणानां सागर इवाधारः) 4.6l, . | गुणोत्कीर्तन न. (गुणस्य उत्कीर्तनम्) (२॥न, गुए। નામનો એક બુદ્ધ, ગુણોનો સમુદ્ર.
वन. गुणा स्त्री. (गुणोऽस्त्यस्याः अच्) al, धोम, मांस
गुणोपेत त्रि. (गुणैरूपेतः) उत्तम. गुथी. यु.डत, गुवान. રોહિણી નામની વનસ્પતિ.
गुणोध पुं. (गुणानामोघः) गुनी समूड. गुणाकर पं. (गुणस्य आकरः) Yuva Mul-(कर्तुं
गुण्ठ (चुरा. पर. सक. सेट-गुण्ठयति) ai.j, धेरी -स्त्वं लसदसंख्यगुणाकरस्य-कल्याण० ५, ते नामना से मौद्ध.
aj, (अव साथे. गुण्ठ-अवगुण्ठयति) ५) ४२वो. गुणाढ्य त्रि. (गुणैराढ्यः) सशुली, गुवान. (पुं.) ते.
गुण्ठित त्रि. (गुठि-क्त) वीये.क., आये., धूपया
२31ये. નામનો એક કવિ. गुणातीत पं. (गुणैरतीतः) सत्त्व, २४ भने तमथा.
| गुण्ड् (चुरा. उभय. स. सेट-गुण्डयति, ते) 4lzj, અતીત પરમેશ્વર, સ્થિતપ્રજ્ઞ, આત્મજ્ઞાની.
રક્ષણ કરવું, ચૂર્ણ કરવું. गुणादि पुं. पाणिनीय व्य15२५ प्रसिद्ध मे. शहए गुण्ड पुं. (गुडि वेष्टने अच्) सिपत्र नमर्नु घास, यथा -गुण, अक्षर, अध्याय, सूक्त, छन्दस्, मान । |
यूए ४२j, पासा. (त्रि. (डि कर्मणि अच्) यूए। गुणान्वित त्रि. (गुणैरन्वितः) गुवान.
४२८., पीसेस, हास.. गुणिका स्त्री. (गुणैरन्वितः) गुरावान.
| गुण्डक त्रि. (गुडि भावे अच्) मसिन, भेलु, धूपथी. गुणिका स्त्री. (गुण+इन् स्वार्थे क+टाप्) सूजेन संग ५२७॥येस.. (पुं. (गुडि+ण्वुल्) धूम, तेस. वगैरेनु સોઝા આવેલું શરીર.
पात्र. गुणित त्रि. (गुण आमेडने कर्मणि क्त) गुदा, ५० | गुण्डकन्द पुं. शे२७न्ह. ४२८, आवृत्ति ४२८.
गुण्डारोचनिका स्त्री, (गुण्डा सती रोचना हरिदेव गुणिता स्त्री., गणित्व न. (गुणिनो भावः तल्-त्व) | ___ इवार्थे कन्) मे तनु वृक्ष. ગુણવાનપણું.
गुण्डाला स्त्री. (गुण्डं चूर्णमालाति आ+ला+णिनि) गुणिन् त्रि. (गुण अस्त्यर्थ इनि) गुवाणु - गुणी गुण । ५७i. उत्पन्न थना२. . क्षुद्रवनस्पति.
वेत्ति न वेत्ति निर्गुण: मनु० ८।७३, -गुणिगण- | गुण्डासिनी स्त्री. (गुण्डा सती आस्ते आस्+णिनि) गणनारम्भे न पतति कठिनी सुसंभ्रमाद्यस्य-हितो० |
ચિપિટા નામની એક લતા. (पुं. गुण अस्त्यर्थे इनि) धनुष, या५.
गुण्डिक पुं, गुण्डिका स्री. (गुण्ड अस्त्यर्थे ठन् गुणीभूत त्रि. (अगुणः गुणः भूतः गुण+च्चि+भू+क्त)
टाप् च) 02 ४२८. यो५0 402 -गुण्डिकैः सीतपीतैश्च અપ્રધાન થયેલું, અમુખ્ય થયેલ, ગુણ રૂપ થયેલ सर्वैरपि गुणैर्युक्तो निवीर्यः किं करिष्यति । गुणीभूता
___मण्डयन्ती गृहाङ्गणम्-अनन्तव्रतकथायाम् । गुणाः सर्वे तिष्ठन्ति हि पराक्रमे-महा० २।१५।११ ।
गुण्डिचा स्री. २थयात्रामा 24.843या सुधी. ४ायन) गुणीभूतव्यङ्गय न. (गुणीभूतं व्यङ्ग्यं यत्र) मां.t२
રથ જે સ્થળે અટકી રહે છે - તેવો એક પ્રકારનો શાસ્ત્ર પ્રસિદ્ધ મધ્યમ કાવ્ય જેમાં વાચ્યાર્થથી બૅગ
મંડપ વિશેષ. ३५. डोय. तेवू. व्य. -अपरं तु गुणीभूतव्यङ्गव्यं
गुण्डित त्रि. (गुडि वेष्टने क्त) धूपथी. ॥२७येद, वाच्यादनुत्तमे व्यङ्ग्ये-सा० द० २६५ ।
भासन, पासेस, मायेस. गुणेश, गुणेश्वर पुं. (गुणानामीशः । गुणानामीश्वरः) | गुण्य त्रि. (गुण्+कर्मणि यत्) गुवा. योग्य, 4
५२मेश्वर, चित्रकूट पर्वत, (त्रि. गुणेषु ईश्वरः) उत्तम લાયક, વખાણવા લાયક, શ્રેષ્ઠ ગુણવાળું. गुए.
| गुत्थ पुं. (गुत्स पृषो०) गवेधु नमर्नु धान्य.
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