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शब्दरत्नमहोदधिः।
[अकूपार-अक्रम
अकूपार पु. (न कुत्सितं पारं गन्तव्यदेशो यस्य) | अकृश त्रि. (न कृशः) ४ अणुन डोय ते, स्थूल. १. सभद्र, २. पर्वत, 3. सर्य. अकवार.
अकृशं कुचयोः - उद्भटः अकृच्छ्र त्रि. भुश्दीमा विनानु, सगउभयु. उ०मां अकृष्ट त्रि. (न कृष् क्त) मेरायेस. न. डोय.
सूर्य पासे -कूपा वर्धन्ते विधुकान्तिभिः - हितो. । अकृष्टपच्य त्रि. (अकृष्टक्षेत्रे पच्यते) नलि उदातरम अकृत त्रि. (न कृतं) १. न ४२स, २. अन्यथा कृत. गती in२, २॥ वगेरे. अकृत न. (न कृतं) ४२५ो समाप, निवृत्ति. अकृष्ण पु. (नास्ति कृष्णः कलङ्को यस्य) १. यंद्र, अकृतक त्रि. (कृ, क्त, न कृतकम् स्वार्थे कन्) २. पू२. स्वाभावि., जनावयु न. डोय. ते. - नैव तस्य अकृष्ण त्रि. (न कृष्णः) १. tणु नहित, २. शुद्ध, कृतेनार्थो नाकृतिनेह कश्चन - भगवद्गीता.
3. धो. अकृतार्थ त्रि. नि .
अकृष्ण पु. (न कृष्णः) stulag विनानी al, श्वेत.. अकृतास्त्र त्रि. शस्त्र वा५२वानुं शीयो नडोय त. अकृष्णकर्मन् त्रि. (न कृष्णं कर्म यस्य) शुद्ध म. अकृतात्मन् त्रि. मान, भू.
२नार, पुष्यशादी, अपराध२डित, घोषभुत. अकृतज्ञ त्रि. (न कृतं जानाति) कृत नलित. इतन, | अकेतन त्रि. (नास्ति केतनं यस्य) घरविनानी होय.ते. કરેલો ઉપકાર ન જાણનાર.
अकेतु पु. (नास्ति केतुश्चिरं यस्य) अन.. अकृतज्ञता स्त्री. (अकृतज्ञस्य भावः तल्) भातश५. अकेतु त्रि. (नास्ति केतुश्चिद्रं यस्य) वि.६२डित, अकृतज्ञत्व नं. (अकृतज्ञस्य भावः त्व) 64cl अर्थ, ___4% २लित, माइतिरउित. તબીપણું.
अकेश त्रि. (न केशा यस्य)विनानु,
थोशवाj, अकृतितास्त्री.(अकृतिनोभावः तल्)मतिअयोग्यता. અપ્રશસ્ત કેશવાળું. अकृतित्व न. (अकृतिनो भावः त्व) कृतार्थ, अकैतव न. (न कैतवम्) १. १४५८५६, मधूतuj. અયોગ્યપણું.
अकोट पु. (न कूट घञ्) सोपारीनु 3. अकृतिन् त्रि. (न कृती) सय ७२वाने अक्षम, अकोविद त्रि. (न कोविदः) 4, भूज, शान. ક્રિયા કુશળ નહિ તે.
अकौटिल्य न. (न कौटिल्यम्) सरता. अकृतोद्वाह त्रि. (अकृतः उद्वाहो येन) अपरित, अकौशल त्रि. (अकुशल अण्) भा.मुशगया थना२ अथवा an.
थयेल. अकृत्त त्रि. (न कृत्तिः) स्पे न डोय. ते, माउत, अकौशल न. (न कौशलम्) सश५५, मipoll, सुषित.
હોંશિયારીનો અભાવ. अकृत्य त्रि. (न कृत्यम्) न. 3री. शय तवं. अक्क पु. (अक् कन्) भं ड . अकृत्य न. (अप्रशस्तं कृत्यम्) योरी वगेरे हुष्ट यो. | अक्का स्त्री. (अच्यते इति अक् क्विप्) भात, ४ननी. अकृत्य त्रि. (न कृत्यमस्य) 3. विनानु.
अक्किका स्त्री. गणी. अकृत्यस्थान न. (न कृत्यस्थानम्) यात्रि.न. अक्त त्रि. (अङ्ग् क्त) १. सद, २. परिमित.. મૂલગુણાદિને ભાંગે તેવું અત્યસ્થાન.
વ્યાપ્ત-સંડોવાયેલ, માલિશ કરેલું, જોડાયેલું, લીંપાયેલું. अकृत्रिम त्रि. (न कृत्रिमः) १. कृत्रिम उत, अक्ता स्त्री. (अङ्ग् क्ता) (48) त्रि.
૨. સ્વભાવસિદ્ધ, સ્વાભાવિક, જે મનુષ્યકૃત ન હોય. अक्तु स्त्री. (अङ्ग् तु) १. रात्रि, २. पत्रिनो २. अकृत्वा अव्य. (न कृत्वा) न शने. - अकृत्वा अकत्र न. (अङ्ग् त्र) जन्तर, वर्भ.
परसन्तापमगत्वा खलनम्रताम् । - उद्भट: अक्रतु पु. (नास्ति क्रतुः यस्य) ५२मात्मा. अकृत्स्न त्रि. सपूर, मधू.
अक्रतु त्रि. (नास्ति क्रतुः यस्य) A२२डित, अकृप त्रि. (नास्ति कृपा यस्य) ५. विनानु, निय. सं.८५. २डित, स्तिलित, मनारहित अकृपण त्रि. (न कृपणः) १. १५.नलित, | अक्रम त्रि. (नास्ति क्रमो यस्य) १. म. विनानु, २. पुष्ठण, घ
परिपाटी. गरनु, २. ५ विनानु, उ. तिशून्य.
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