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२६४ शब्दरत्नमहोदधिः।
[आकुट्टि-आक्रन्दिक आकुट्टि स्त्री. (आ+कुट्ट+इन्) १. डिंसा ४२वी, 4 | (आक्रियते व्यज्यते जातिरनया करणे क्तिन्) अवयव २वी, भारी नing ते, २. राहो.
संस्थान विशेष:- अथवा आकतिर्जातिलिङ्गाख्याआकुट्टिका स्त्री. (आ+कुट्ट+इ+कन्+टाप्) 10. जाते!त्वादेहिंसास्नादिसंस्थानविशेषो लिङ्ग, तस्य च જોઈને ઈરાદાપૂર્વક કરવું તે.
परम्परया द्रव्यवृत्तित्वम् । यया जातिर्जातिलिङ्गानि आकुट्टित त्रि. (आ+कुट्ट+क्त) छहे.j, मां, विहारेj. च प्रख्यायन्ते तमाकृति विद्यात् । आकुट्टिन् त्रि. (आ+कुट्ट+णिन्) १. 10. ईन. आकृतिगण पु. (आकृती आकारप्रसिद्धो गणः) नीय હિંસા કરનાર, ૨. ઇરાદાપૂર્વક પ્રાણીનું છેદન-ભેદને વ્યાકરણશાસ્ત્ર પ્રસિદ્ધ તે તે કાર્યના નિમિત્તમાં આકર २ना२ 3. डायना२.
પ્રસિદ્ધ શબ્દસમૂહ, જેમ કે સ્વરાદિ આકૃતિગણ; आकुल त्रि. (आ+कुल+क) व्याण, व्यय, म२५२- |
કવાદિ વગેરે. विभवगुरुभिः कृत्यैस्तस्य प्रतिक्षणमाकुला-शाकुन्तलम् । | आकृतिच्छत्रा स्त्री. (आकृति छादयति छद्+णिच्+कर्तरि आकुलता स्त्री. (आकुलस्य भावः तल्) साम५५j. ष्ट्रन् इस्वः) मे तनो. , घोषाती. नामनी. आकुलत्व न. (आकुलस्य भावः त्व) ५ो. श६
Adi. मो.
आकृतियोग पु. (आकृतेः योगः) नक्षत्र समूड. आकुलाकुल त्रि. (आकुल+आकुल) १. सत्यंत.
आकृष्ट त्रि. (आ+कृष्+क्त) जेथेस, uplet, पायल, सासव्य, २. साडूमनो २, व्यानो २,
जयायेस- नाकृष्टं न च टङ्कितं न नमितं नोत्थापितं વિખરાયેલ વાળવાળો, અવ્યવસ્થિત, અસંગત, વિરોધી.
स्थानतः । महाना० लम् - सारी ४ो.
आकृष्टि स्त्री. (आ+कृष्+क्तिन्) अय, dunj, आकुलि पु. (आकुल्+इन्) ५j, व्य५j.
सास आकुलित त्रि. (आ+कुल+क्त) व्याण थयेट, व्य.
आके अव्य. (आ+कन्+डे) १. पासे, २. ९२. थ्यला.. -मागाचलव्यतिकराकुलितन सिन्धु:-कु० ५१८५
आकेकरा स्री. (आके+अन्तिके कीर्यते कृ+कर्मणि आकुलीकृत त्रि. (आ+कुल+च्चि+कृ+क्त) व्याज
___ अप्) क्षवाणी मे. प्र.२नी दृष्टि, मध निभासत. ४२८, व्य. २८..
- निमीलिदाकेकरलोलचक्षुषा-कि० ८५३ आकुलीभूत त्रि. (आकुल+वि+भू+क्त) व्याप थयेस,
आकेनिप त्रि. (आकेअन्तिके निपतन्ति नि+पत्+ड) व्य थये. आकूणित त्रि. (आ+कूण+क्त) ॥२ संजयायेल.
પાસે પડનાર. -मदनशरशल्यवेदनाकूणितत्रिभागेन-काद०
आकोकेर पु. ज्योतिषशास्त्र प्रसिद्ध भ७२२२. आकूत न. (आ+कू+भावे+क्त) (भोटे भागे. समास.नी.
आकोप पु. (आ कुप् घञ्) थाउिया५j, sna. घ. અંતે પ્રયોજાય છે.) આશય, અભિપ્રાય, ઇરાદો, પ્રસ્તુત
आकौशल न. (अकुशलस्य भावः अण् द्विपदवृद्धि ६२ ते, हेभ- धर्माकूतम्.
पूर्वस्य वा) अशणता, शियारी नलि ते, आकूति स्त्री. (आ+कू+भावे+क्तिन्) 6५२नो. श०६
अकुशलता, अकुशलत्व. – विवरीतुमथात्मनो गुणान् જુઓ. સ્વયમ્ભવ મનુથી શતરૂપામાં ઉત્પન્ન થયેલ
भृशमाकौशल-मार्यचेतसाम्-शि. १६।३० એક કન્યાનું નામ.
आक्रन्द पु. (आ+क्रन्द्+घञ्) १. सूम. . २७j, आकूपार न. 2415 सामवे: मंत्रीन नाम.
२. श६, मा४, 3. जोहान, ४. मित्र, ५. भाई, आकृत त्रि. (आ+कृ+क्त) बनेj, निर्मित -यद्वा समुद्रे 9. मी.ने. रोवानु, स्थान, ७. ६.२५ युद्ध __अध्याकृते गृहे- ऋ० ८।१०।१।।
आक्रन्दन न. (आ+क्रन्द्+ल्युट) १. सूम 4.30 २७j, आकृति स्त्री. (आ+कृ+क्तिन्) १. भार, -किमिव । २. पी . हि मधुराणां मण्डनं नाकृतीनाम्. -श० १२०, आक्रन्दिक त्रि. (आक्रन्दं-दुःखिनां रोदनस्थानं धावति २. उ.५, 3. पारनी. येष्टा, ४. 4.51२-भूण ग्रंथ, आ+क्रन्द्+ ठञ् ठक् वा) दु:जियाराना २७वानi. ५. छ, . (तिमi) udोशनी संज्या वगेरे. स्थान. .. ४॥२.
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