________________
व्याख्या ]
जिन पूजाविषयक - शुकमिथुनककथानकम् ।
भव्वा वि कालपरिणइवसंगया जिणवरिंदभणियम्मि । धम्मम्म य 'पडिणीया होऊणं जंति नरएसु ॥ १२ ॥ चुलसीइजो लिक्खाउलम्मि हिंडंति दुक्खसंतत्ता । पुणरुत्तं संसारे सुहलेसविवज्जिया पावा ॥ १३ ॥ लडूण वि जिणवणं अभावियत्थं विवज्जिय निमित्तं । जायं दिव्याणं तहडिओ ताण संसारो ॥ १४ ॥ नयसयपमाणगहणं जिणवयणविणिच्छिय'त्थमवियड्ढा । अन्नत्थ निउत्तं पि हु अन्नत्थ निउंजिय' भणति ॥ १५ ॥ सासयजिणबिंबाणं घयखीरदहीहिं किजइ न पहाणं । ता किमिमाण कीरइ न य रायाईण सिद्धमिणं ॥ १६ ॥ चरि पि हु उवएसं वयंति 'मइमोहगं अधीराण । न गति वावि पोक्खरि भंडाण' किमच्चणं न तहा ॥ १७ ॥ सुत्तम्मि उ उवट्ठ तह त्ति पडिवत्तिगोयरं होई । उव समुत्तसाहियदिट्ठतो होइ चरियं तु ॥ १८ ॥ खाईपत्तं सव्वत्थ वि दीसए न सुत्तम्मि ।
जं
न य पडिसेहो तत्थ उ मोणं चिय होइ गीयाणं ॥ १९ ॥ चरिए किं पिदीसह उवएसपएण साहियं ने य" । तत्थ वि जुत्तमजुत्तं वत्तव्यं नेव गीयाणं ॥ २० ॥ अविणिच्छियवयणाओ आणा पडिकूलिया जिनिंदाण । तत्तो भवो अणतो मोणं चिय होइ ता जुत्तं ॥ २१ ॥ जहठियमबुज्झमाणा भणंति चिइवंदणं न सड्डाणं । तिन्नि वि” कड्डइ जाव उ जईणमिणमाह समयन्नू ॥ २२ ॥ न गणति निव्विसेसं वंदणमेयं विसेसियं चरणं । नय सावजनिषित्ती एयं पि" न ताण जं घडइ ॥ २३ ॥ आवस्सयाहिगारी न सावगो पन्नवेंति अवियड्डा | लोउत्तर आवस्सए उवासगा किं न दिट्ठा भे ॥ २४ ॥ एवंविहं भणता जिणवयणं जे कुणंति अपमाणं । आसाणा य एसा अनंतभवदारुणविवागा ॥ २५ ॥ अहिमवि बुज्झता जिणवयणं आसवे अरंभित्ता" । आरंभपरिग्गहओ पावं" बंधंति तह चैव ॥ २६ ॥ सावज्जजोगविरई दुलहा जीवाण भवसमुद्दम्मि । दुक्खतविया वि जम्हा गिण्हंति न चैव काउरिसा ॥ २७ ॥
1 B धम्मंमि पचणीया । निजुंजिय । 6A चरिमं । 11 B वा । 12 A एयंमि । क० २
Jain Education International
2 A लेसा विवड्ढियो । 3 B विवज्जय । 7 B मयमोहगं । 8 A न यणंति । 13A 14 B निरंभित्ता । 15 A पादं ।
For Private & Personal Use Only
4 A वयणमणिच्छिय० । 5 B 9 B भंडाबिंबाण । 10 A तेय ।
6
10
15
20
25
20
www.jainelibrary.org