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तृतीयकाण्डम्
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विशेषणवर्गः २ 'द्वयो बहुकरा किञ्च खलपूः खलशोधकः ॥२३॥ चिरैक्रियो दीर्घसूत्रो मन्दः कुण्ठः क्रियालसः । अत्यन्त कोपनश्चण्डः क्रोधनः कोप्य मर्षणः ॥२४॥ स्त्री दोहदिन्यां श्रद्धालुः श्रद्धायुक्तस्तु वाच्यवत् । ईष्यालु रीयक स्तन्द्रा युक्त स्तन्द्रालघूणितौ ॥२५॥ समौ शयोल निद्रालू जागरूँकस्तु जागरी । यदुन्नताऽऽनतं तत्तु बन्धुरं "दीर्घमायते ॥२६॥
(१) स्खलिहान नीपने पोतने के तीन नाम-स्खलप १ खलशोधक २ बहुकर ३ (स्त्रीलिङ्ग में बहुकरा बहुकरी तो बहुकर की स्त्री मर्थ में होगा)।(२) अति विलम्ब से काम करने वाले के दो नाम: चिरक्रिय १ दीर्घसूत्र २ । (३) काम में अलसाने वाले के तीन नाममन्द १ कुण्ठ २ क्रियालस३ । (४) अत्यन्त क्रोधी के दो नामअत्यन्तकोपन १ चण्ड २ । (५) क्रोधो के तीन नाम-क्रोधन १ कोपी २ अमर्षण ३ । (६) श्रद्धायुक्त के एक नाम- श्रद्धालु (दोहदिनी अर्थ में केवल स्त्री०) (७) ईर्ष्या करने वाले के दो नामईर्ष्यालु १ इय॑क २1 (८) निद्रा आने से पहले जो सुस्ती आती है उसके तीन नाम- तन्द्रायुक्त १ तन्द्रालु २ घूर्णित ३ । (९) निद्रा आरही हो उसके दो नाम- शयालु १ निद्रालु २ । (१०) जागते हुए के दो नाम- जागरुक १ जागरी २। (११) कुछ एक भाग ऊँचा और नीचे का एक नाम- बन्धुर १ (नानार्थ) । (१२) लम्बाई के दो नाम- दोर्घ १ आयत २ ।
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