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द्वितीयकाण्डम्
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क्षत्रियवर्गः९ आलानं बन्धनस्तम्भः स्याद् वारो गजबन्धनी ।।५०॥ हस्तिशाला वरण्डस्तु पुमान् स्त्री गजवेदिका । हस्तिपाऽधोरणौ तुल्यौ वीतं फल्गु हयद्विपम् ॥५१॥ अश्व स्तुरङ्ग तुरग हयवाजि तुरङ्गमाः । घोट घोटकगन्धर्ब सप्तिवाहा सैन्धवाः ॥५२।। पीतिविनीतः संजाता शिक्षा यस्य स आहवे । भिन्नो जह्यान्नयः संज्ञा माजाने यस्तु सत्कुलः ॥५३॥ काम्बोजा वाहिकास्तद्वत् पारसीका वनायुजाः ।
सवेगो जनः पृष्ठेय स्थौरिणौ भारवाहके ॥५४।। (१) गजबन्धन स्तम्भ के दो नाम-आलान १ नपुं. बन्धनस्तम्भ २ पु. । (२) गजबन्धनशाला (हथिसाड़) के तीन नाम-वारी १ गजबन्धनो २ हस्तिशाला ३ स्त्री. । (३) हाथी के होहे के दो नाम वरण्ड १ पु.. गजवेदिका २ स्त्री. । (४) मह वत के दो नामहस्तिप (हस्तिपक) १ आघोरण २ पु. । (५) कार्याक्षम (नाकाम) हाथी घोड़े के दो नाम-व त १ फल्गु २ नपुं. । (६) घोड़े के चौदह नाम-अश्व १ तुरङ्ग २ तुरग ३ हय ४ वाजी ५ तुरङ्गम ६ घोटक ८ गन्धर्व ९ सप्ति १० वाह ११ अर्वा १२ सैन्धव १३ पीति १४ पु. । (७) शिक्षित घोड़े के एक नामविनीत ९ पु. । (८) उत्तमकुल घोड़े के दो नाम माजानेय (आकीर्ण) १ सत्कुल २ पु.। (९) भिन्न २ देश के घोड़े का पृथक् २ नाम-काम्बोज बाहिक, पारसीक, वनायुज पु । (१०) अधिक वेगशाली घोड़े के एक .म-जवन १ पु. । (११) भारवाही छोडे के दो माम - पृश्य १ स्थौरी २ पु. . .
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