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द्वितीयकाण्डम् १७६
मानववर्गः ७ जीर्णवस्त्रे खण्डिते तु कर्पटो लक्तकः समौ । स्त्रियां मशहरी स्यूत वस्त्रे मशकवारणे ॥१०२॥ स्यास्त्रियां चीरिकाकच्छा कौपीनं मलमल्लकम् । रल्लेकः कम्बल; पुंसि वराशिः स्थूलवाससि ॥१०३। सुचेल: शोभने वस्त्रे निचोलः प्रच्छदः पटः । संख्यानमुत्तरासङ्गोऽथोत्तरीयेष्वधोऽशुकम् ॥१०४॥ परिधानो-पसंख़्यानाऽन्तरीयाण्यथ चोलेकः। कूर्पासकः स्त्रियामूनि वस्त्रं स्यादवगुण्ठेनम् ॥१०५॥
(१) पुराने कपड़े का टुकरा अथवा रुमाल के दो नामकर्पट १ लक्तक (नक्तक) ३ पु० । (२) मच्छरदानी के एक नाम- मशहरी १ स्त्रो० । (३) कछिया (जंघिया) के दो नाम-चीरिका १ कच्छा २ स्त्री० । (४) लंगोटी के दो नाम-कोपीन १ मलमल्लक २ नपुं० । (५) कम्बल के दो नाम-रल्लक १ कम्बल २ पु० । (६) खदर (मोटे कपडे) का एक नाम-वराशि (वरासि) १ पु० । (७) सुन्दर वस्त्र का एक नाम-सुचेल १ पु० । (८) दोला आदि को ढकने का जो कपड़ा है उसके दो नाम-निचोल १ प्रच्छ रपट २ पु० । (९) शरीर के ऊपरी (उत्तरीय) वस्त्र के दो नाम-संख्यान १ नपुं०, उत्तरासग २ पु०। (१०) शरीर के नीचे जो पहने जायं (अधोवस्त्र) उसके चार नाम-अघोऽशुक १ परिधान २ उपसंख्यान ३ अन्तरोय ४ नपुं० । (११) चोली के दो नामचोलक १ कूर्पासक २ पु० । (१२) घूधंट का एक नामअवगुण्ठन १ नपुं० ।
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