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द्वितोयकाण्डम्
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मानववर्ग:७ तातः पिता च जनके माता तु जननी प्रमः। जनयित्री ननन्दा स्याद्भर्तुः स्वस्य तु या स्वैसा ॥२६॥ भगिनी पुत्र पुत्री तु पौत्री नप्त्री सुता मुता। मातुली मातुलानो स्याद्भाति॒र्जाया प्रजावती ॥२७॥ यातरो भ्रातृवर्गस्य भार्याः स्युस्तु परस्परम् । दम्पत्योर्जननीश्वयु जनकः श्वशुरो मिथः ॥२८॥ पत्नीभ्राता भवेच्छयोलः स्वामिभ्राता तु देवरः। स्यात्पितृव्यः पितृोता मातुरेष च मातुलः ॥२९॥
हिन्दी-(१) पिता के तीन नाम-तात १, पिता २, जनक ३ पु० । (२) माता के तीन नाम-जननो १, प्रसु २, जनयित्री ३ स्त्री० । (३) पति के भगिनों (बहन) का एक नाम-ननन्दा (ननान्दा, ननान्द)१ स्त्री० । (४) बहन के दो नाम-स्वसा(स्वस) १, भगिनी २ स्त्रो० । (५) पुत्र के पुत्रो का एक नाम-पौत्री १ स्त्रो० । (६) लड़की के लड़की का एक नाम-नप्त्री १ स्त्री० । (७) मामा के पत्नो के दो नाम-मातुली १, मातुलानी२ स्त्री. । (८) भ्रातृपत्नी (भाभी) के दो नाम-भ्रातृजाया १, प्रजावती २ स्त्री० । (९) भ्रातृवर्गों को पत्नी एक दूसरे को 'याता (यात) कहती हैं स्त्री० । (१०) पति पत्नी के पत्नी पति के माता को 'श्वश्रु' कहते हैं स्त्री० । (११) पिता को 'श्वशुर' कहते हैं पु०॥ (१२) पत्नी के भाई का एक नाम --श्याल १ पु० । (१३) पति के छोटे भाई का एक नाम-देवर १ पु. । (१४) पिता के भाई का एक नाम-पितृव्य १ पु० । (१५) माता के भाई का एक नाम-मातुल १ पु० ।
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