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द्वितीयकाण्डम् १५३ मानववर्गः ७
सुवासिनी चिरण्टी स्यात्पार्श्वस्था प्रतिवेशिनी ॥९॥ पुंश्चली पांशुला स्वैरिण्यसती कुलटोच्यते । "विश्वस्ता विधवा रण्डा वीरा स्वामि सुतान्विता ॥१०॥ पतिवत्नी सनाथा स्या पलिँकी जरती मता। किञ्चिद्विज्ञा भवेत् प्राज्ञी प्राज्ञा तुत्कृष्ट धी युता ॥११॥ जातिः शूद्रस्य शूद्री स्याद् भार्या "शुद्री प्रकीर्तिता। स्यादाभीरी गोपपत्नी पोटौं श्मश्नादि चिहिनी ॥१२॥ उपाध्याय्यप्युपाध्याया स्वयं विधोपदेशिका ।
(१) विवाहिता के दो नाम-- सुवासिनी १ चिरण्टी २ स्त्री० ! (२) पडोस के स्त्रो के दो नाम- पार्श्वस्था १ प्रतिवेशिनी २ स्त्री०। (३) कुलटा के पांच नाम- पुश्चलो १ पांशुला २ स्वैरिणी ३ अपती ४ कुलटा ५ स्त्री०। (४) विधवा के तीन नाम-- विश्वस्ता १ विधवा रण्डा ३ स्त्री० । (५) पतिपुत्र संयुक्ता का एक नाम- वीरा १ स्त्री० । (६) गर्भिणी जीवद्भर्तृका का एक नाम-पतिवत्नी (अन्तर्वत्नी) १ स्त्री०। (७) वृद्धा के दो नाम-पलिनो १ जरती २ स्त्रो० 1(८) किञ्चित् विज्ञ स्त्री का एक नाम प्राज्ञो १ स्त्री०। (९) उत्कृष्ट बुद्धिमती
का एक नाम-प्राज्ञा १ स्त्री० । (१०) शूद के जाति का एक नाम-शूद्रा १स्त्री०। (११)शूद्रपत्नी का एक नाम-शूद्री१ स्त्री० । (१२) अहोर पत्नो के दो नाम-आभोरी १ गोपपत्नी २ स्त्री० । (१३) जिस स्त्री को दाढी मुंछ निकले उसका एक नामपोटा १ स्त्री० । (१४) विद्योपदेशिका के दो नाम-उपाध्यायी १ उपाध्याया (उपाध्याय पत्नी को उपाध्यायानो, उपाध्यायी भी कहते हैं)२ स्त्री।
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