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द्वितीयकाण्डम्
पशुवः ६ रक्तोऽधि चञ्चुभिर्योऽथ मलिनो मल्लिकेक्षणः । धार्तराष्ट्रो यदा नीलो ज्ञायते लक्ष्मभिः क्रमात् ॥२२॥ लक्ष्मणा सारसस्य स्त्री हंसस्य वरटा मता । जतुकाऽजिनपत्रायां परोष्णी तैलपायिका ॥२३॥ वर्वणा मक्षिका नीला विशिष्टा मधुमक्षिका । सरघा मधुदात्रिषु पुत्तिका वा पतङ्गिका ॥२४॥ वनमक्ष्यां मतोदंशो देशी तज्जाति रल्पिका । ततोऽपि क्षुद्रदंशे तु मशो मशक इत्युभौ ॥२५॥
अन्यः शुलैशुलः कीटः खट्वाकोटस्तु मत्कुणः । चंगुलों से लाहित न होकर कृष्ण हों तो इन्हें 'मल्लिकेक्षण' तथा नील चञ्चु चरणों से 'धार्तराष्ट्र' समझना पु० । (१) सारस की स्त्री का एक नाम-लक्ष्मणा १, स्त्रा० । (२) हंस की स्त्री का एक नाम-वरटा १ स्त्री० । (३) चामचिरिया (चमगादड़) के दो नामजतुका १, अजिनपत्रा २ स्त्री० । (४) तलचिटा के दो नामपरोष्णो १, तैलपायिका २ स्त्री० । (५) मक्षिका (मक्खी) के तीन नाम-वर्वणा १, मक्षिका २, नीला ३ स्त्री० । (६) मधुमाखा के दो नाम-मधुमक्षिका १, सरधार २ स्त्री० । (७) छोटी मधुमक्षिका के दो नाम-पुत्तिका १, पतङ्गिका २ स्त्री० ।।(८) वनमक्षिका के एक नाम-दंश १ पु० । (९) छोटी वनमक्षिका के एक नाम-दंशी स्त्री० । (१०) मच्छर के दो नाम-मश १, मशक २ पु.।(११)शुलशुल का एक नाम-शुलशुल १पु० । (१२) खट्वाकीट (माकड़) का एक नाम-मत्कुण १ पु० ।
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