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द्वितीयकाण्डम् १४० धान्यादिवर्गः ५
चर्मणः स्नेहपात्रं स्यात्कुतूः सा कुतुपोऽल्पिका ॥५४॥ पर्णपात्रे करकोना पर्णधान्युपहन्तिका । उपस्करो वेषवारो राज्यक्तस्तु रसालिका ॥५५॥
॥ इति धान्यादिवर्गः समाप्तः ।। (१) सीदडे के एक नाम-कुतू १ स्त्री० । (२) छोटे सीदड़े के एक नाम-कुतुप १ पु० । (३) पर्णपत्र (पतराला पडिया) के तीन नाम-करङ्क १ पु०, पर्णधानी २ उपहन्तिका ३ स्त्री० । (४) वेसवार (दाल अथवा शाक के मसाले) के दो नाम-उपस्कर १ वेषवार (बेसवार) २ पु० ।
॥०॥ इति धान्यादिवर्ग समाप्त ।।०॥
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