________________
-
द्वितीयकाण्डम्
१११ वनस्पतिवर्गः४ चन्द्रिका चन्द्रशुरोऽपि पशुमेहनकारिका ॥७२॥ में थिका मेथिनी मेथी कालाजाज्यपि जीरकः । धान्यक तुवरं प्रोक्त-मजैमोदा यवानिका ॥७३॥ वैचा तीक्ष्णोग्रगन्धायां पारसीकवचा तथा। द्वीपान्तरवचा चाऽपि कुलिंजनमितः पृथक् ॥७४॥ हपुषर्षों पुष्पवस्ता च पराऽश्वत्थ फलामता ।
फिरङ्गजा चोपचोनी विडङ्ग बनिकृल्लघु ॥७५।। (४) सोआ के दो नाम-शतपुष्पा १, अहिच्छत्रा२ स्त्री०। (५) चित्रक के तीन नाम-चित्रक १, व्याल२. पाठी (पाठिन्)३ पु० । (६) अशेलिया (चनसूर) के तीन नाम-चन्द्रशर१ पु०, चन्द्रिका २, पशुमेहनकारिका ३ स्त्री० । (७) मेथी के तीन नाम-मेथिका १, मेथिनो२, मेथी३ स्त्री० । [८] कृष्ण जीरा के एक नामकृष्णा१ स्त्री० । [९] श्वेत जीरा के दो नाम-अजाजी१ स्त्री, जीरक२ पु० । [१०] धाना के दो नाम-धान्यक १, तुवर २ नपुं० । [११] अजमाइन के दो नाम-अजमोदा१, यवानिका २ स्त्री० ।
हिन्दी-(१) सफेद वच के तीन नाम-वचा १, तीक्ष्णा २, उग्रान्धा ३ स्त्री० । (२) खुरसानी वच का एक नाम-- पारसीक वचा १ स्त्री० । (३) चोपचीनी का एक नाम-द्वीपान्तरवचा १ स्त्री०। (४) महाभरी का एक नाम-कुलिञ्जन १ पुं० । (५) पलाशो वचा के दो नाम-हपुषा १, पुष्पबस्ता २ स्त्री० । (६) अश्वत्था (फारसदेशीया) के दो नोम-फिरङ्गजा १,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org