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द्वितोयकाण्डम्
१०३ वनस्पतिवर्गः४ तथा रामफलं प्रोक्तं स्यात्स्तिं तु निकोचकम्॥४०॥ तूत स्तुदस्तिन्दुकः स्या लघुद्राक्षा तु काफली। स्वाद्वी मधुरसा द्राक्षा मृद्वीका गोस्तनीति च ॥४१॥ लतानं तुवरं तद्वद् दृढबीजं च फेरुकम् । वटे जटालो न्यग्रोधो बहुपाद् दीर्घजीवनः ॥४२॥ विमश्चैत्यद्रुमोऽश्वत्थः पिप्पलः कुञ्जराशनः । जेटी स्यात्पर्कटि प्लक्षः काकोदुम्बरिका तु सः॥४३॥ उदुम्बरो वा क्षोरीवा शिरीषस्तु कपीतनः ।
शिर्शपा सारिणीपीता गजभेक्षा तु सल्लको ॥४४॥ फल१, आतृप्य२, मृदूफल ३, रामफल ४ नपुं०, लवना५ स्त्री० । (९) पिस्ता के दो नाम-पिस्त १, निकोचक२ नपुं० । (१०)तूंत के तान नाम-तूत १, तूद२, तिन्दुक३ पु० । (११) किसमिस के दो नाम-लघुद्राक्षा१, काकली२ स्त्री० ।
हिन्दी-(१) दाख के पांच नाम-स्वाद्वी१, मधुरसा२, द्राक्षा ३, मृद्वीका४, गोस्तनो५ स्त्रा० । (२) जाम्फल के चार नामलताम्र१, तुवर२, दृढ़बीज३, फेरुक ४ नपुं० । (३) वटवृक्ष के पांच नाम-वट१, जटाल२, न्यग्रोध३, बहुपात्४, दो जोवन५ पु० । (४) पोपल वृक्ष के पांच नाम-विप्र१, चैत्यद्रुमर, अश्वस्थ३, पिप्पल ४, कुञ्जराशन५ पु० । (५) पीपर (पाकड़ि) वृक्ष के तीन नाम-जटि (जटिन्)१ पु०, पर्केटी२ बी. प्लक्ष३ पु० । (६) उदुम्बर के तीन नाम-काकोदुम्बरिका१ स्त्री०, उदुम्बर२, क्षीरी (क्षीरिन् )३ पु. । (७) शिरीष के दो नाम-शिरीष१, कपी,
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