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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-क्रूर शब्द | ७६ १. शनैश्चर, २. कोल. ३. वाराहीकन्द । क्रोश शब्द पुल्लिग है उसके चार अर्थ होते हैं -१. मुहूर्त, २. गव्यूत (दो कोश) ३. दण्ड और ४. युग सहस्र । मूल : क्रोष्ट्री शृगालिका कृष्ण-विदारी लाङ्गलीषु च।
क्रौञ्चो जिनध्वजे द्वीपे खगे राक्षसशैलयोः ।। ४२३ ॥ हिन्दी टीका-क्रोष्टी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. शृगालिका (गीदड़नी) २, कृष्णविदारी (कृष्णभूमि कूष्माण्ड) और ३. लाङ्गली (जल पीपरि) इस तरह क्रोष्ट्री शब्द के तीन अर्थ जानना । क्रौञ्च शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. जिनध्वज (जिन भगवान का पताका) २. द्वीप (क्रौञ्च नाम का द्वीप विशेष) ३. खग (पक्षी) ४. राक्षस (दानव विशेष) और ५. शैल (पर्वत विशेष जिसको कार्तिकेय ने बाण से विदीर्ण कर दिया था, वह क्रौञ्च नाम का पहाड़)। मूल : क्रौञ्चादनन्तुघेञ्चुल्यां चिञ्चोटक मृणालयोः ।
क्लेशोऽविद्यादि दु:ख स्यादमर्ष-व्यवसाययोः ॥ ४२४ ॥ हिन्दो टीका-क्रौञ्चादन शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. घेञ्चुली (पेंचुल पक्षी विशेष) २. चिञ्चोटक (पक्षी विशेष) और ३. मृणाल (कमल नाल तन्तु) इस प्रकार क्रौंचादन के तीन अर्थ जानना क्योंकि क्रौञ्च पक्षी भी मृणाल को ही खाकर जीवन बिताता है इसीलिए मृणाल को भी क्रौञ्चादन शब्द से व्यवहृत किया जाता है। क्लेश शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. अविद्यादि दुःख (अविद्या-अस्मिता राग-द्वेष-अभिनिवेश ये पाँच क्लेश माने जाते हैं) २. अमर्ष (असहन, वरित नहीं करता) और ३. व्यवसाय (सांसारिक व्यवहार) को भी क्लेश माना जाता है। मूल : व्यसने द्रव्य निष्पाके दुःखेऽपि क्वाथ ईरितः ।
खगो वायौ ग्रहे सूर्ये वाणे शलभपक्षिणोः ॥ ४२५ ॥ हिन्दी टीका-१. व्यसन (आपत्ति) २. द्रव्य निष्पाक (निम्ब वकसा वगैरह द्रव्य का पाक) और ३. दुःख इन तीनों को भी क्वाथ कहते हैं । इस तरह क्वाथ शब्द के व्यसन, द्रव्य निष्पाक और दुःख ये तीन अर्थ हुए । खग शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं -१. वायु (पवन), २. ग्रह (सूर्यादि ग्रह नक्षत्र), ३. सूर्य, ४. वाण (शर-तीर), ५. शलभ (पतंग) और ६. पक्षी। इस तरह खग शब्द के छह अर्थ जानना।
खचरो राक्षसे मेघे वायौ सूर्येऽपि रूपके ।
खजा स्त्रियां प्रहस्ते स्याद् दयां मारणमन्थयोः ॥ ४२६ ॥ हिन्दी टीका-खचर शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं -१. राक्षस (दानव) २. मेघ (बादल) ३. वायु (पवन) ४. सूर्य और ५. रूपक । खजा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. प्रहस्त (थप्पड़) २. दर्वी (करछी) ३. मारण (मारना) और ४. मन्थ (मन्थन दण्ड वगैरह)।
खटोऽन्धकूपतृणयोः प्रहारान्तरटयोः । कफलाङ्गलयोः प्रोक्तः कर्तणेऽपि पुमानसौ ॥४२७ ॥
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