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नानार्थौदयसागर कोष हिन्दी टीका सहित - कच्छ शब्द | ४३
हिन्दी टीका - कच्छ शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं - १. परिधानांचल (साड़ी का अञ्चल आँचल) २. तुन्नवृक्ष (नन्दी वृक्ष, तूणी नाम का झाड़) और ३. अनूपस्थल (जलप्रायद्वीप स्थल) । कच्छप शब्द पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं - १. मदिरा यन्त्रविशेष ( शराब बनाने का यन्त्र विशेष ) और २. निधिभेद (नव-निधियों में एक निधि का नाम ) ३. मल्ल बन्धान्तर ( मल्ल को पछाड़ने का एक दाव-पेच) ४. कूर्म (काचवा काछ ) ५. नन्दी वृक्ष ( तूणी नाम का झाड़) । कच्छपी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं १. भारती वीणा (सरस्वती को वीणा को कच्छपी कहते हैं) २. कुर्मी (काचवी . काछवे की स्त्री जाति) और ३. कच्छपिका गद (कछपी नाम के रोग विशेष को भी कच्छपी कहते हैं ।) इसी प्रकार कुल मिलाकर कच्छप- कच्छपी दोनों शब्द के आठ अर्थ समझना चाहिये ।
मूल :
कच्छुरा ग्राहिणीवृक्षे शूकशिम्बी यवासयोः।
शट्यां दुरालभायां स्त्रीकच्छुरः पामनि त्रिषु ।। २२६ ।।
कञ्चिका वेणु शाखायां क्षुद्रस्फोटे स्त्रियां मता । कञ्चुको वारबाणेऽस्त्री निर्मोके चोलकेपिच ॥
२२७ ॥
हिन्दी टीका - कच्छुरा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं - १. ग्राहिणी वृक्ष ( कपित्थ-कैथ-कदम्ब का वृक्ष) २ शूकशिम्बी (केवांच-कवा छु, जिसको शरीर में लगाते ही अत्यन्त खुजली पैदा हो जाती है उसको मैथिली भाषा में कवाछु कहते हैं) ३. यवास ( यवासा) और ४. शटी ( पलाश - आमाहल्दी) और ५. दुरालभा (यवासा) । कच्छुर शब्द त्रिलिंग है और उसका १. पामा (खर्जू - खुजली ) अर्थ होता है । इस तरह कच्छुरी कच्छुर शब्दों के छह अर्थ समझना चाहिये । कञ्चिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं १. वेणु शाखा (बाँस की करची) और २. क्षुद्र स्फोट (छोटी आवाज जिससे हो उसे भी कंचिका कहते हैं) । कंचुक शब्द पुल्लिंग तथा नपुंसक भी है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. वार-वाण (कवच ) २. निर्मोक (केंचुल केचुआ सर्प के शरीर से निकला हुआ त्वचा) और ३. चोलक (चोली) इस तरह कांचिका शब्द के दो और कंचुक शब्द का तीन अर्थ समझना चाहिये ।
मूल :
वस्त्रमात्रके ।
वर्द्धापकगृहीताङ्गवसने कञ्चुकी सौविदल्ले स्यात् चणके यवसर्पयोः ॥ २२८ ॥
खिङ्ग जोङ्गकवृक्षे च पुमान् सद्भिरुदाहृतः ।
कञ्ज पद्मेऽमृते कञ्जश्चिकुरे ब्रह्मणि स्मृतः ॥ २२६ ॥
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हिन्दी टीका – कंचुक शब्द का १. वर्द्धापक गृहीतांगवसन ( महोत्सव विशेष में गृहीत अंग वस्त्र ) भी अर्थ होता है और वस्त्र मात्र (केवल वस्त्र ) भी अर्थ होता है । कंचुकी शब्द पुल्लिंग है और उसके छह अर्थ होते हें – १. सौविदल्ल (राज दरबार में रक्षा के लिए रहने वाला वृद्ध पुरुष विशेष) २. चणक (चना) ३. यव (जौ) और ४. सर्प (साँप ) एवं ५. खिंग (वृक्ष विशेष) और ६. जोंगक वृक्ष ( अगर - अगरू का वृक्ष) । कंज शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. पद्म (कमल) और २. अमृत, किन्तु पुल्लिंग कंज शब्द के भी दो अर्थ होते हैं - १ चिकुर (केश) और २. ब्रह्म (परमात्मा ) भी । कञ्जारः कुञ्जरे सूर्ये विरिञ्चौ जठरे मुनौ । कट: किलिञ्जके हस्ति गण्डदेश श्मशानयोः ॥ २३० ॥
मूल :
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