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३२ / नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टोका सहित-उग्रगन्ध शब्द मूल : उग्रगन्धस्तु लशुने चम्पकेऽर्जकपादपे।
___ कटफले च पुमानुक्तस्त्रिषुतूत्कटगन्धिनि ॥ १६४ ॥ हिन्दी टीका-उग्रगन्ध शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. लशुन (लहसुन) २. चम्पक (चम्पा पुष्प) ३. अर्जकपादप (सफेद बवई पर्णास) और ४. कट फल (कायफल जायफल)। किन्तु उत्कट गन्ध (अत्यन्त गन्ध युक्त) अर्थ में उग्रगन्ध शब्द त्रिलिंग है। मूल : उग्रगन्धाऽजगन्धायां यवान्यां चिक्किकौषधौ ।
वचायामजमोदायामुग्रगन्धा स्त्रियां मता ॥ १६५ ।। उग्रा वचायां धान्याके उग्र जाति स्त्रियामपि ।
तीव्र स्वभावयोषायां यवान्यां छिक्किकौषधे ॥ १६६ ।। हिन्दी टीका-उग्रगन्धा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पांच अथ होते हैं--१. अजगन्धा (पोरईशाक विशेष पोई-बवई) २. यवानी (जमाइन-अजमाइन) ३. छिविकोकषध (छींक कराने वाला औषध विशेष) ४. वचा (घडवच-वच नाम का औषध विशेष) और ५. अजमोदा (अजमाइन)। इस प्रकार उग्रगन्धा शब्द के पाँच अर्थ हुए । उग्रा शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके छह अर्थ होते हैं -१. वचा (वच) २. धान्याक (कंजी) ३. उग्रजातिस्त्री (शूद्र की स्त्री और क्षत्रिय के पुरुष से उत्पन्न स्त्री सन्तान) ४. तीवस्वभाव योषा (उग्र कठोर स्वभाव वाली स्त्री) ५. यवानी (अजमाइन) और ६. छिक्किकोषध (छिक्का-छींक कराने वाली औषध विशेष) । इस प्रकार उग्रगन्धा शब्द के पांच और उग्रा शब्द के छह अर्थ समझना चाहिये।
उचितं विदिते न्यस्ते ग्राह्ये परिमितेयुते । उच्चता चक्रला गुञ्जाचर्यादम्भेषु कीर्तिता ॥ १६७ ॥ भूम्यामलक्यां नादेयी लशुनान्तरयोः स्त्रियाम् ।
उच्छ्रितं त्रिषु संजाते समुन्नद्ध-प्रवृद्धयोः ॥ १६८ ॥ हिन्दी टीका-उचित शब्द नपुंसक है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. विदित (ज्ञात) २. न्यस्तस्थापित (रक्खा हुआ) ३. ग्राह्य (ग्रहण कर लेने लायक) ४. परिमित (सीमित माप किया हुआ) और ५. युत (युक्त)। उच्चता शब्द स्त्रीलिंग है और उसके आठ अर्थ होते हैं-१. च कला (मोथा घास) २. गुंजा (करजनी) ३ चर्या (सेवा कार्य) और ४. दम्भ (आडम्बर) इस तरह उचित शब्द के पाँच और के आठ अर्थ समझना चाहिये। जिनमें बाकी चार अर्थ अग्रिम लोक में कहे जाते हैं -- ५. भूमि (जमीनपृथ्वी) ६. अलकी (ललाटिका) ७. नादेयी (भुई जामुन) और ८. लशुनान्तर (लशुन विशेष)। इस प्रकार उच्चता शब्द के आठ अर्थ हुए । उच्छ्रित शब्द त्रिलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. संजात (उत्पन्न) २. समुन्नद्ध (सम्बद्ध सन्नद्ध तत्पर वगैरह) और ३. प्रवृद्ध (बढ़ा हुआ ऊँचा)। इस तरह उच्छ्रित शब्द के तीन अर्थ समझना चाहिये। मूल : उच्चेत्यक्त ऽथोडुपोऽस्त्री मेलके चन्दिरे पुमान् ।
उत्कटविषमे तीव्र मत्ते त्रिषु गुडत्वचित् ॥ १६६ ॥
मूल:
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