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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित इषीका शब्द | ३१ (स्त्री विशेष बनाना ) ६. स्थूलएला (बड़ी इलाइची ) ७. सूक्ष्मला (छोटी इलाइची ) । इरा शब्द स्त्रीलिंग ही है और उसके छह अर्थ होते हैं - १. भूमि (पृथ्वी) २. सरस्वती, ३. वाक्य (पद समूह) ४. सलिल (पानी, जल) ५. मद्य ( शराब मदिरा) ६. कश्यपस्त्री विशेष ( कश्यप की धर्मपत्नी ) । इसी प्रकार इला शब्द भी स्त्रीलिंग ही है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. गो ( पृथ्वी- गाय वगैरह ) २. भू (पृथ्वी) और ३. वाक्य । इस तरह इन्द्राणी शब्द के सात तथा इरा शब्द के छै तथा इला शब्द के तीन अर्थ समझना चाहिये ।
मूल :
sutar तूलिका - काशतृण - हस्त्यक्षिगोलके । इष्टं यथेप्सिते क्लीबं संस्कारे यज्ञकर्मणि ॥ १६० ॥ इष्टिर्यागेऽभिलाषेऽपि श्लोक संग्रहणे स्त्रियाम् । ईति: प्रवासे स्त्री डिम्बकृष्युपद्रवषऽकयोः ।। १६१ ।।
हिन्दी टीका - इषीका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. तूलिका (ब्रश-कूंची ) २. काशतृण (काश डाभ का घास मूंज वगैरह ) और ३. हस्त्यक्षिगोलक (हाथी की आँख की पुतली, कनी • निका) । इष्ट शब्द नपुंसक है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं - १. यथेप्सि (मनोभिलषित वस्तु) २. संस्कार और ३. यज्ञकर्म (याग क्रिया) । इष्ट शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी तोन अथं होते हैं१. याग (यज्ञ) २. अभिलाषा ( इच्छा) और ३. श्लोकसंग्रह (श्लोकों का संग्रह ) । इति शब्द भी स्त्रीलिंग है। और उसके भी तीन अर्थ होते हैं - १. प्रवास (परदेश गमन ) २ डिम्ब (बच्चा) और ३. कृष्युपद्रवषड्क ( १. अति वृष्टि, २. अनावृष्टि, ३. चूहे का उपद्रव, ४ शलभ-टिड्डी, ५. शुक (पोपट) और ६. अत्यासन्न राजा (राजा का आक्रमण ) ये छह कृषि खेती के उपद्रव कहे गये हैं (अतिवृष्टिरनावृष्टि षिकाः शलभाः शुकाः (खगाः ) अत्यासन्नाश्च राजान षडेता ईतयः स्मृताः एवं स्वचक्रं परचक्रं च सप्तैताः इतयः स्मृताः ऐसा भी पाठ आता है) । इस तरह इषीका शब्द के भी तीन एवं इष्ट शब्द के भी तीन तथा इष्टि शब्द के भी तीन और ईति शब्द के भी तीन अर्थ हुए ।
मूल :
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ईशा लांगलदण्डे स्त्री दुर्गायामपि कीर्त्यते । ईश्वर: शिव - कन्दर्प केशवैश्वर्यशालिषु ।। १६२ ॥ ईश्वरा पार्वती लक्ष्मी-सरस्वत्यादि शक्तिषु । उग्रः केरलदेशेऽपि शोभाञ्जनतरौ शिवे ।। १६३ ।।
हिन्दी टीका - ईशा ( ईषा) शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. लाङ्गलदण्ड (हल को पकड़ने का दण्ड विशेष - लागनि) और २. दुर्गा (पार्वती) को भी ईशा कहते हैं । ईश्वर शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. शिव (शङ्कर) २. कन्दर्प (कामदेव ) ३. केशव (विष्णु) और ४. एश्वर्यशाली (ऐश्वर्य युक्त) । इसी प्रकार ईश्वरा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी चार अर्थ होते हैं - १. पार्वती (महाकाली) २. लक्ष्मी (महालक्ष्मी) और ३. सरस्वती ( महासरस्वती) । ४. आदिशक्ति से ऐन्द्री - ब्राह्मी वैष्णवीमाहेश्वरी - नारसिंही- कौमारी - वाराही वगैरह शक्ति लिए जाते हैं । उग्र शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. केरलदेश (बरार देश के पास केरल देश विशेष) २. शोभांजनतर (शोभावर्द्धक अञ्जन का वृक्ष (विशेष) और ३. शिव (शङ्कर ) । इस तरह ईशा ( ईषा) शब्द के दो एवं ईश्वर शब्द के चार तथा ईश्वरा शब्द के भी चार और उग्र शब्द के तीन अर्थ समझना चाहिये ।
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