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नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित - व्योमचारिन शब्द | ३१६
हिन्दी टीका - व्योमचारिन शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-- १. देव, २. विहंग (पक्षी) ३. चिरजीवी । व्रज शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. निवह (समूह) २. मार्ग (रास्ता) ३. गोष्ठ (गोशाला वगैरह ) और ४. देशप्रभेद (देशविशेष - अग्रवन और मथुरा के अगल-बगल पार्श्ववर्ती भूमि जिसको ब्रजभूमि कहते व्रज्या शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. गमन ( जाना) २. रङ्ग (रङ्गस्थान) और ३ विजिगीषु प्रयाण (विजिगीषु का प्रस्थान ) ४. वर्ग (समूह) और ५. पर्यटन (भ्रमण) । व्रण शब्द पुल्लिंग तथा नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने गये हैं - १. क्षत (घाव ) और २. अरुष (मर्मस्थल) ।
मूल :
वल्ली - विस्तारयो बध्ये व्रततिव्रं तती स्त्रियौ । व्रश्चनः पत्रपरशु द्रुम निर्यासयोः पुमान् ॥ १८३५॥ आशुधान्ये धान्यमात्रे पुमान् व्रीहि रुदाहृतः । प्रियंगु-धान्ये चीना के कथितो व्रीहिराजिकः || १८३६।।
हिन्दी टीका - व्रतति और व्रतती शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं - १. वल्ली (लता) और २. विस्तार । ब्रश्चन शब्द पुल्लिंग है और उसके भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. पत्रपरशु (फर्शा-आरा वगैरह ) और २. द्रमनिर्यास (वृक्ष का लस्सा- गोंद) । व्रीहि शब्द पुल्लिंग है और उसके भी दो अर्थ माने हुए हैं - १. आशु धान्य ( आंशु सठिया गरि वगैरह ) और २. धान्यमात्र (साधारण धान ) व्रीति राजिक शब्द भी पुल्लिंग है और उसके भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. प्रियंगुधान्य (ककुनी- टांगुन, क्राउन) और २. चीनाक (चीना) इस प्रकार व्रीहिराजिक शब्द के दो अर्थ जानना चाहिये ।
मूल :
शम्बो ना मुशलाग्रस्थ लोहमण्डल-वज्रयोः । लोहमय्यां शृङ्खलायां त्रिलिंगस्तु शुभान्विते ।। १८३७॥ शम्बरं सलिले क्लीबं दैत्यभेदेत्वसौ पुमान् ।
शंसा वाक्ये प्रशंसायां वाञ्छायामप्यसौ स्त्रियाम् ॥ १८३८ ॥
हिन्दी टीका - शम्ब शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. मुशलाग्रस्थ लोहमण्डल (मुशल के अग्र भाग में लगा हुआ लोहे का मूशर) और २. वज्र ३. लोहमयी शृंखला (लोहे को जञ्जीर) और ४. शुभान्वित (शुभ-मंगल से अन्वित युक्त किन्तु शुभान्वित अर्थ में शम्ब शब्द त्रिलिंग है) । शम्बर शब्द नपुंसक है और उसका अर्थ -- १. सलिल (पानी) होता है । किन्तु २. दैत्य भेद ( दैत्य विशेषशम्बर नाम प्रसिद्ध राक्षस) अर्थ में शम्बर शब्द पुल्लिंग माना गया है । शंसा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. वाक्य, २. प्रशंसा और ३. वाञ्छा (इच्छा अभिलाषा) इस प्रकार शंसा शब्द के तीन अर्थ जानना ।
मूल :
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शंसित स्त्रिषु निर्णीत स्तवने हिंसितेऽप्यसौ ।
शको देशान्तरे म्लेच्छजातो च शालिवाहने || १८३६|| शकटोsस्त्री विष्णुवध्यासुरेऽनः शाकटीनयोः । शकलं वल्कले शल्के खण्ड- त्वग्- रागवस्तुषु ।। १८४० ।।
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