________________
१२० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - पवित्रा शब्द
किन्तु ३. तिलवृक्ष ( तिल का वृक्ष) अर्थ में पवित्र शब्द पुल्लिंग ही माना गया है इसी प्रकार ४. पुत्रजीवतरु ( पुत्रजीव - पितौझिया नाम का वृक्ष विशेष ) अर्थ में पवित्र शब्द पुल्लिंग ही माना गया है। पुल्लिंग पवित्रक शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं - १. दमनक, २. अश्वत्थ (पीपल) ३. कुश (दर्भ ) तथा ४. उदुम्बर ( गूलर ) किन्तु नपुंसक पवित्रक शब्द के दो अर्थ माने गये हैं - १. जाल और २. शणसूत्र (शण की डोरी) इस तरह पवित्रक शब्द के कुल छह अर्थ जानना ।
मूल :
पवित्रा स्याद् हरिद्रायां तुलस्यां सरिदन्तरे । पशुः स्यात् प्रमथे देवे यज्ञोडुम्बर-यज्ञयोः || १२४० || सिंहादि जन्तौ छगले प्राणिमात्रेऽपि कीर्तितः । पक्षः सहाये मासार्थे चुल्लीरन्ध्र विहङ्गमे ।। १२४१।।
हिन्दी टीका - स्त्रीलिंग पवित्रा शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं - १. हरिद्रा ( हलदी ) २. तुलसी और ३. सरिदन्तर (नदी विशेष ) । पशु शब्द पुल्लिंग है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं - १. प्रमथ ( प्रमथ नाम का शङ्कर भगवान का गण विशेष, जोकि प्रमथादिगण शब्द से प्रसिद्ध है) २. देव, ३. यज्ञ, ४. उडुम्बर यज्ञ ( उदुम्बर यज्ञ) उदुम्बर नाम का यज्ञ विशेष को भी पशु कहते हैं ) ५. सिंहादि जन्तु ( सिंह वगैरह प्राणी) ६. छगल (बकरा छागर) और ७. प्राणिमात्र (साधारण प्राणी) को भी पशु कहते हैं । पक्ष शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. सहाय, २. मासार्धं ( मास का आधा, १५ दिन) ३ चुल्लीरन्ध्र (चुल्हे का छेद ) तथा ४. विहङ्गम (पक्षी) । इस प्रकार पक्ष शब्द के चार अर्थ समझने चाहिए ।
मूल :
वर्गे विरोधे वलये देहाङ्ग े राजकुञ्जरे । पिच्छे साध्ये बले पार्श्वे पतत्र - शरपक्षयोः ॥१२४२॥ सख्यौ गृहे ग्रहे शुद्धे कल्पे केशात् परश्चये । पक्षकः पार्श्वमात्रे स्यात् पक्षद्वार - सहाययोः ॥ १२४३ ॥
हिन्दी टीका - पक्ष शब्द के और भी सत्रह अर्थ माने गये हैं- १. वर्ग ( समुदाय) २. विरोध, ३. वलय ( कंगण ) ४. देहाङ्ग (आधा शरीर ) ५. राजकुञ्जर ( राजा का हाथी) ६. पिच्छ (पांख, बर्ह) ७. साध्य (साधने योग्य) ८. बल (सामर्थ्य ) ६. पार्श्व ( बगल ) १०. पतत्र (पक्षी) ११. शरपक्ष (बाण का पुंख) १२. सखा (मित्र) १३. गृह (घर) १४. ग्रह, १५. शुद्ध (विशुद्ध-निर्मल) १६. कल्प ( रचना, वेश विन्यास, विकल्प वगैरह ) और १७. केशात्परश्चय (केश से ऊपर का समुदाय) । पक्षक शब्द के तीन अर्थ होते हैं१. पार्श्वमात्र (बगल) २. पक्षद्वार ( मुख्य द्वार ) और ३. सहाय ( मददगार ) ।
मूल :
पक्षतिः स्त्री पक्षिपक्षमूले च प्रतिपत्तिथौ । अन्याय्यसाहाय्यकृतौ पक्षपातः खगज्वरे ॥१२४४॥ अमायां पौर्णमास्यां च पक्षान्तः कीर्तितो बुधैः ।
पक्षिणी शाकिनीभेदे पूर्णिमायां खगस्त्रियाम् ।।१२४५।।
हिन्दी टीका - क्षति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं— १, पक्षिपक्षमूल
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org