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११८ | नानर्योदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-जटिला शब्द जटाल शब्द त्रिलिंग माना जाता है। जटि शब्द के दो अर्थ होते हैं—१. प्लक्ष (पाकर का वृक्ष) और २. समूह (समुदाय) । जटिल पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. पंचास्य (सिंह) होता है । किन्तु २. जटायुक्त अर्थ में जटिल शब्द भी त्रिलिंग माना जाता है । इस प्रकार जटिल शब्द के दो अर्थ जानना चाहिए। मूल :
जटिला राधिकाश्वश्रू-जटामांसी वचासु च।
पिप्पल्यामुच्चटायां च स्मृता दमनकद्रु मे ।। ६३६ ॥ हिन्दी टोका-जटिला शब्द स्त्रीलिंग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं—१. राधिकाश्वश्रु (राधा की सास) २ जटामांसी (जटामांसी तपस्विनी लता विशेष) ३. वचा (वच) और ४. पिप्पली (पीपरि) ५. उच्चटा (मोथा घास) और ६. दमनक द्रम (दमनक नाम का वृक्ष विशेष) इस तरह जटिला शब्द के छह अर्थ जानना चाहिए। मूल :
जठरं कठिने बद्ध त्रिषुस्यादुदरेद्वयोः । जडोऽप्रज्ञ हिमग्रस्ते मूके त्रिषु जलेऽद्वयोः ॥ ६४० ॥ इष्टानिष्टाऽपरिज्ञाने यत्र प्रश्नेष्वनुत्तरम् ।
दर्शनश्रवणाभावो जडिमा सोऽभिधीयते ।। ६४१ ।। हिन्दी टोका-जठर शब्द १ कठिन (कठोर) और २. बद्ध (बंधा हुआ) इन दो अर्थों में त्रिषु-- त्रिलिंग माना जाता है और ३. उदर (पेट) अर्थ में द्वयोः-पल्लिग और नपंसक माना जाता। जड शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं--१. अप्रज्ञ (मूर्ख-प्रज्ञाहीन) और २. हिमग्रस्त (पाला बर्फ से व्याप्त) किन्तु ३. मूक (गूंगा) अर्थ में जड शब्द त्रिलिंग माना जाता है और ४ जल (पानी) अर्थ में तो अद्वयोः केवल नपुंसक ही माना जाता है । जडिमा शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. इष्टाऽनिष्टाऽपरिज्ञान (इष्ट और अनिष्ट का अपरिज्ञान--ज्ञान रहित) और २. 'यत्र प्रश्नेषु अनुत्तरम्' (जहाँ पर प्रश्न करने पर भी उत्तर नहीं दे सकना उसको भी) जडिमा-स्तब्धता कहते हैं । और ३. दर्शन-श्रवणाभाव (दर्शन और श्रवण के अभाव को भी जडिमा कहते हैं, इस प्रकार जडिमा शब्द के तीन अर्थ जानना। मूल : जतुकाऽजिनपक्षायां पर्पटी वल्लिभेदयोः ।
जनो लोके महर्लोकादूर्ध्वलोके च पामरे ॥ ६४२ ॥ जनकस्तु विदेहे स्यात् पितर्युत्पादके स्मृतः।
जनता जनसमूहेऽपि जननं वंश जन्मनोः ॥ ६४३ ॥ हिन्दी टीका--जतुका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. अजिनपक्षा (चमगादड़-बादुर) २. पर्पटी (पपरी) और ३. वल्लिभेद (लता विशेष) को भी जतुका कहते हैं । जन शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१ लोक (लोक विशेष) और २. महर्लोकाद् ऊर्ध्वलोक(महर्लोक से ऊपर के लोक को भी) जनलोक कहते हैं। और ३. पामर (कायर) को भी जन कहते हैं। जनक शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. विदेह (राजा जनक) और २ पिता, एवं ३ उत्पादक (उत्पन्न करने वाला) को भी जनक कहते हैं। जनता शब्द स्त्रीलिग है और उसका अर्थ--- जनसमूह (जन-समुदाय) होता है । जनन शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. वंश (कुल) और २. जन्म । इस प्रकार जनन शब्द के दो अर्थ जानना चाहिये।
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