________________
२६
अवल्लय - नौका खेने का उपकरण - विशेष (आचूला ३।१९ ) । अवल्लाव- -असत्य कथन, अपलाप (दे १ । ३८ वृ ) । अवल्लावअ - अपलाप, असत्य कथन ( दे १।३८ ) |
अवव -- संख्या - विशेष - 'चतुरशीतिरववाङ्गा शतसहस्राणि एकमववम्' ( जीवटी प ३४५ ) 1
अववंग - संख्या - विशेष (भ ५।१८ ) |
अवसंतुइय - बाहर निकालकर (दअचू पृ ११५.) । अवसमिआ -- गूंदा हुआ बासी आटा (दे १।३७ ) । अवसह --- १ उत्सव । २ नियम (दे १५८ )
अवसावण
-१ काञ्जिका - अवसावणं लाडाणं कंजियं भण्णई' ( बृटी पृ ८७१) । २ भात वगैरह का पानी । अवह- शरीर का अवयव (अंवि पृ ६६ ) । अवहट्ठे-अभिमानी, अहंकारी (दे १।२३ ) । अवहड - मुसल (दे १।३२) । अवहण - उलूखल (दे १ । २६ वृ ) ।
अवहत्थरा -- पाद - प्रहार (दे १।२२ वृ ) |
अवहन्न- - ऊखल ( बृभा २६३३ ) । अवहाअ - विरह ( दे ११३६) ।
अवहित्था - मन की अस्त-व्यस्तता, अकुलाहट ( से १११९ टी) । अवहेअ - दया पात्र, अनुकंपा का पात्र (दे ११२२ ) ।
अवहेडग - आधासीसी रोग ( उशाटी प १४३) । अवहेडय—-आधासीसी रोग, आधे शिर का रोग ( उनि १५० ) 1
देशी शब्दकोश
अवहेडिय -- नीचे की तरफ मुड़ा हुआ, झुका हुआ - 'अवहेडिय पिट्टसउत्तमं गे" ( उ १२।२६ ) ।
अवहेरी - तिरस्कार, अवहेलना ( उसुटी प १६२ ) ।
अवहोडय -- बन्धन का एक प्रकार, हाथ और सिर को पीठ से बांधना'अव होडएण जक्खस्सेव पुरओ बंधेऊण' (उसुटी प ३५ ) |
अवार - बाजार, दुकान ( निचू २ पृ १६० ; दे १।१२ ) ।
अवारी - दुकान, बाजार (दे १।१२ ) ।
अवालुआ- होठ का प्रान्त भाग (दे ११२८ ) - 'अवालुआ फुडं फुडइ' (वृ) । अविअ - कहा हुआ (दे १११० ) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org