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देशी शब्दकोश
अंतरिया-समाप्ति, अंत (जंबू २) । अंतालुहण-प्रिय-अंतालूहणो मम एस पुत्तो' (कु पृ ४७) । अंतीहरी-दूती (दे ११३५) । अंतेल्ली -१ मध्य । २ जठर, पेट । ३ तरंग (दे ११५५) । अंतोखरियत्ता-१ नगर में रहने वाली वेश्या। २ विशिष्ट-वेश्या
(भ १५।१८६)-'अंतोखरियत्ताए ति नगराभ्यन्तर
वेश्यात्वेन' विशिष्टवेश्यात्वेनेत्यन्ये' (टी पृ १२७६) । अंतोवगडा-घर का आंगन (ब २११)-'अंतोवगडा नाम उवस्सयस्स
अभंतरं अंगणं' (चू प १४१)। अंतोहुत्त-अधोमुख (दे १।२१) । अंधंधु-कूप, कुआ (दे १११८) । अंधक-फल-विशेष, वृक्ष-विशेष (अंवि पृ २३८)। अंधग-वृक्ष (भ १८६५)। अंधगवहि-स्थूल अग्नि (भ १८६५)। अंधार-अन्धकार (पंव २५७)। अंधारइअ----अन्धापन (आचू पृ ३७२) । अंधिया-चतुरिन्द्रिय जंतु-विशेष (भ १५१८)। अंबकधूवि-खाद्यपदार्थ-विशेष (अंवि पृ ७१)। अंबकूणग-आम्रफल (भटी पृ १२५७) । अंबकोइलिया---१ आम्रविष्ठा । २ आम की छाल के टुकड़े
(दअचू पृ २३)। अंबखुज्ज-तलवे का मध्य भाग-'यदाम्रकुब्जं पादतलमध्यम्'
(बृटी पृ १०६२) । अंबट्टिक-भोज्य-विशेष-'अंबट्ठिकघतउण्हे पोवलिका ....' (अंवि पृ २४६) । अंबड-कठिन (दे १११६) । अंबपिंडी-भोज्य-विशेष (अंवि पृ ७१) । अंबप्पहार-प्रहार से दुःखी (उशाटी प १९३)। अंबमसी-गूदा हुआ बासी गीला आटा-'अंबसमीत्यत्र सकारमकारयोर्व्यत्यये
__ अंब मसीति केचित् पठन्ति' (दे ११३७ वृ) । अंबर-मत्स्य का मद-'अम्बरशब्देनात्र मत्स्यमदोऽभिधीयते स हि किलात्यन्त
सुगन्धो भवति' (आवटि प ६५) ।
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