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देशी शब्दकोश
खउर (क्षुम्) क्षुब्ध होना (प्रा ४११५४) । खंकार-खेंखारना । खंच (कृष्)-१ खींचना । २ वश में करना । खंप (सिच्)—छिड़कना । खडखड-खटखटाना-पाएहिं खडखडे इ' (उशाटी प १३८) । खडखडाव-बजाना-'सव्वाउज्जाणि य खडखडावेह'
(आवहाटी १ पृ १३६) खडुक्क (आविस्+भू) प्रकट होना । खड्ड (मृद्)-मर्दन करना (प्रा ४।१२६) । खरंट-भर्त्सना करना (आवहाटी १ पृ २६७) । खरड (लिप्)-लीपना। खरवड-कुरेदना, इधर-उधर करना-'तं गंतूण पाएहिं खरवडे इ'
(उसुटी प ५४) । खरियाल—कदर्थना करना । खलहल–'खलखल' शब्द करना। खलाहि-दूर हटो-'गच्छक्खलाहि किमिहं ठिओसि ?' (उ १२१७);
'देशीपदमपसरेत्यस्यार्थे' (उशाटी प ३५६)। खस-खिसकना; गिरना। खिज्ज-१ खेद करना । उद्विग्न होना । खिर (क्षर्)-गिरना, टपकना (प्रा ४।१७३) । खिल्ल (खेल)-क्रीड़ा करना। खिल्ल (कीलय)-रोकना । खिस-खिसकना, सरकना । खील-कीलना। खुंद (क्षुद्)-१ जाना । २ पीसना । खुंद (क्षुध्)-भूख लगना। खुज्ज (परि+अस्)--१ फेंकना। २ निरसन करना। खुट्ट (तुड्)-१ तोड़ना । २ खूटना, क्षीण होना । ३ टूटना
(प्रा ४।११६)।
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