________________
परिशिष्ट २
कम्म ( भुज् ) - भोजन करना ( प्रा ४। ११० ) ।
कम्मव ( उप + भुज् ) – उपभोग करना ( प्रा ४।१११) ।
करंज (भ) - भांगना (प्रा ४ । १०६) ।
करयर -- 'कर' 'कर' की आवाज करना, चहचहाना - 'करयरेंति सउणया' ( कु पृ १६८ ) ।
कसमसाना ।
कसमस
- काण - काना करना, छेद करना--' कीस मे कोलालाणि काणेसि ! ' (आवचू १ पृ ६१४) ।
कालक्खर- -१ निर्भर्त्सना करना । २ निर्वासित करना ।
किलकिल - किलकिल करना ।
किलिfia ( रम् ) क्रीड़ा करना, खेलना (प्रा ४।१६८ ) ।
किलकिल - किलकिल आवाज करना ।
कुंट - पैर में चुभे कांटे आदि को खोदना - 'अण्णत्तो च्चिय कुंटसि, अण्णत्तो कओ खतं जातं (बृभा ६१६७ ) ।
कुट्ट - पीटना (निचू २ पृε) ।
कुण (कृ) - करना ( प्रा ४ । ६५) ।
५१६
कुण - नकल करना ( निचू ३ पृ ३९ ) ।
कुरकुर - बड़बडाना - 'भातुजायाओ य कुरकुरायति' ( आवचू १ पृ ५२६) । कुरुड -- काटना ।
कुवार --पुकार करना ।
केलाय ( समा+ रच् ) – रचना, बनाना (प्रा ४।६५) ।
-रचना करना ।
केवलाअ ( सम् + आ + रच्) केवलाअ ( समा+रम् ) -आरम्भ करना । कोआस (वि + कस् ) - विकसित होना (प्रा ४। १६५) । कोक्क (व्या + हृ ) -- पुकारना, बुलाना ( प्रा ४(७६) । कोट्ट - कूटना, पीटना ( आवहाटी १ पृ २६४) । कोट्टुम (रम्) - क्रीड़ा करना, खेलना (प्रा ४।१६८ ) । कोड्डुम ( रम् ) खेलना, क्रीड़ा करना ।
कोर - पात्र के किनारा लगाना, बांधना ( निचू ४ पृ २१७ ) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org