________________
४५८
देशी शब्दकोश
हम-लोहकार, लोहार (दे ८.७१)। हहय--संख्या-विशेष (भ ५।१८) । हूहूयंग–संख्या-विशेष (भ ॥१८)। हेआल-हाथ की विशेष आकृति से निषेध, सांप के फण की भांति किए हुए
हाथ से निवारण। (दे ८७२)-यदाह भरत:'अंगुल्यः संहिताः सर्वाः सहांगुष्ठेन यस्य तु।
तथा निम्नतलश्चैव स तु सर्पशिराः करः' (वृ)। हेट्ठ-नीचे (सू १।६।१०)। हेवाहुत्त-नीचे की ओर (उसुटी प २७)। हेट्ठाहुत्ती-नीचे (आवहाटी २ पृ १२३)। हेदिल्ल-अधस्तन (सम ७६।१)। हेडित-प्रेरित (अंवि पृ १४८) । हेमप्प-वस्त्रविशेष (जीव ३१५६५) । हेरंग-मत्स्य से बना खाद्य-विशेष (विपा १।८।१२)-'हेरंगाणि य त्ति
रूढिगम्यम्' (टी) । हेरंब-- १ महिष, भैसा । २ डिडिम, वाद्य-विशेष (दे ८७६) । हेरिब--गणेश, विनायक (दे ८७२)-'हेरिबं पूअन्ती अम्बा बाले करेइ
हेआलं' (वृ)। हेरिका-कारावास, अवरोधक स्थान (सूचू १ पृ १३२) । हेरु-हेरुताल-वृक्ष (जीव ३।६३१) । हेला-१ वेग, तीव्रता-'कहिंचि वीईहेलुल्लालिओ' (कु पृ६७) । २ सरलता
(से ११५६) । ३ स्त्री की शृंगारसंबंधी चेष्टा (कु पृ८३) । ४ ताप-'तुज्झाणुरायहुयवहजालाहेलाहि सा विलुटुंगी'
(कु पृ २३६)। हेलिअ-पालित-पोषित-'एसो माणुसाणं हेलिओ' (कु पृ २४१) । हेलिय-मत्स्य की जाति-विशेष (जीवटी प ३६)। हेलुअ---छींक (दे ८।७२) । हेलुक्का-हिचकी (दे ८१७२) । हेल्ल-१ पुकार-सितालो आगतो, हेल्लं दाऊण धाडितो'
(दअचू पृ ५५) । २ लाटदेश में प्रयुक्त समवयस्क का आमंत्रणशब्द-'यथा लाटानां 'कांइ रे हेल्ल त्ति' (सूचू १ पृ १८१) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org