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________________ १६ देशी शब्दकोश वियरग-.१ नदी आदि जलाशय के सूख जाने पर पानी के लिए किया जाने वाला गढा (ज्ञा १११११५६) । २ कूपिका, छोटाकूप-वियरगोत्ति. कूविया' (निचू ३ पृ ५८४)। वियरय-१ लघु स्रोत वाला जलाशय जो सोलह हाथ विस्तृत होता है। नदी या महागर्त में इसका संकुचन तीन हाथ विस्तृत होता है (व्यमा ४।३ टी प ६) । २ गर्त (ज्ञा १।१७।२२) । वियली-घर के चार कोनों में रखा जाने वाला छोटा स्तंभ-'थूणाओ होति वियली' (निभा ४२६८)। वियाउया-पैर फटना, बिवाई-सीतेण वि पव्वीसु वियाउआसु फुटेंतीसु खल्लगादि पुडगे बंधति' (निचू ३ पृ २३)। वियार-१ विस्तीर्ण-'सवियारो त्ति वित्थिन्नो' (बृभा २०२२ चू) । २ शौच-स्थान (निचू १ पृ४४) । वियाल-संध्या-वियाले त्ति सन्ध्यायाम्' (विपाटी प ६६)। वियावड-आकुल (ओटी प १३८)। वियावत्त-जीर्णशीर्ण, अपरिलक्षित-वियावत्तं नाम अव्यक्तमित्यर्थः, भिन्न पडियं अपागडं' (आवहाटी १ पृ १५२) । विरमालिय-प्रतीक्षित (पा ५७०)। विरय-१ लघु स्रोत वाला जलाशय जो सोलह हाथ विस्तृत होता है। नदी या महागर्त में इसका संकुचन तीन हाथ विस्तृत होता है (व्यभा ४.३ टी प ६) । २ छोटा जल-प्रवाह (दे ७।३६) । विरलि-वस्त्रविशेष, डोरिया (प्रसाटी प १६१) । विरली-चतुरिन्द्रिय प्राणी-विशेप (उ ३६।१४७) । विरल्लिअ-जला, जल से भीगा हुआ (दे ७।७१)। विरल्लित-विकीर्ण, विस्तारित (स्था ४१५७७)। विरल्लिय–विस्तारित-'जह उल्ला साडीया आसु सुक्कइ विरल्लिया संती' (विभा विरस --वर्ष (दे ७.६२)। विरसमुह-काक, क आ विरह-१ एकान्त (विपा ११६।३१; दे ७।६१) । २ कुसुंभ रंग से रंगा हुआ वस्त्र ( विरहाल-कुसुंभ रंग से रंगा हुआ वस्त्र (दे ७६८)। विराय-विलीन, पिघल हुआ (पा ८०२)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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