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देशी शब्दकोश मलिल्ल-मूल पूंजीवाला-'अस्थि य देवदत्ताए गाढाणुरत्तो मूलिल्लो
मित्तसेणो' (उसुटी प ६१)। मूसरि-भग्न (दे ६।१३७) । मसल-पुष्ट, मांसल (दे ६४१३७) । मसा-छोटा द्वार (दे ६।१३७) मसाअ-लघु द्वार (दे ६।१३७) । मेअज्ज-धान्य (दे ६११३८)। मेअर-असहन, असहिष्णु (दे ६११३८) । मेंट-विकलांग (आवचू २ पृ २१) । मेंठ-महावत (निभा २४६१; दे ६।१३८) । मेंठी-मेषी, भेड़ (दे ६।१३८)। मेंढिय-ग्राम-विशेष (आवचू १ पृ ३१६) । मेंढी-भेड़, मेषी-'मेण्ढीशब्दोऽपि यदि देश्यः तदा पर्यायभङ्ग्या निबद्धः'
(दे ६।१३८ )। मेज्जक-पक्षी-विशेष (अंवि पृ १४५) । मेज्जुल्लअ-मज्जा-'मिज्जं मेज्जुल्लउत्ति वुत्तं भवति' (निचू २ पृ २१)। मेडंभ-मृगतंतु, मृगजाल (दे ६।१३६) । मेढ-वणिक्-सहाय, व्यापारी का सहयोगी (दे ६११३८) । मेढक–काठ का छोटा डंडा (प्र १।१८) । मेती-चाण्डालिन-'पुरोहितसुतो तीए दुगुंछाए रायगिहे मेतीपोट्टे आगतो'
(आवचू १ पृ ४६४) । मेत्तिया-मगदंतिका, मालती (दअचू पृ १२८)। मेरा-१ मर्यादा, सीमा (भ ७।२४; दे ६।११३) । २ तृण-विशेष
(प्र८।१०)। मेलिमिद -फण वाले सर्प की जाति-विशेष (प्रज्ञा १७०) । मेली-संहति, समूह (दे ॥१३८) । मेसर-लोमपक्षी-विशेष (जीवटी प ४१)। मेहच्छीर-जल, पानी-'पेडंभखलिज्झन्ता मेहच्छीरं पि कह वि अपिअन्ता'
(दे ६।१३६)। मेहर-गांव-प्रमुख-'आगओ निजमेहरपेसितो नडो' (उसुटी १ २५०;
दे ६।१२१ वृ)।
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