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देशी शब्दकोश
भील्य-वक्ष-विशेष-'दधिवष्णो सत्तिवण्णो त्ति कोसंबो भीरुओ त्ति वा'
(वि पृ ६३)। भुअ-भूर्जपत्र, वृक्ष-विशेष की छाल (दे ६।१०६)। भुंड-सूकर (दे ६।१०६) । भुंडीर-सूकर (दे ६।१०६) । भुंदण-एक प्रकार का काष्ठ (निचू २ पृ ३६४) । भुंभर-शेखरक (ज्ञा श६७२) । भंभल-१ शेखरक, चोटी (ज्ञा १८७२ पा)। २ मद्यस्थान . (प्राक १ टी प ६२) । भुंभलक-मद्यपात्र (प्राक १ टी प ६२) । मुंभलय-चोटी, शेखरक (उपाटी पृ १०३)। भुंहडी-भूमि (प्रा ४१३६५ टी)। भुक्कण-१ कुत्ता, श्वा । २ मद्य आदि का मान (दे ६।११०) । भुक्ख-१ भूखा, बुभुक्षित (निर ११३५) । २ रूक्ष-'सुक्केणं भुक्खेणं
पायजंघोरुणा' (अनु ३३५२)। भुक्खा -भूख (ज्ञा १११३४; दे ६।१०६)। भुक्खालु-जिसे भूख अधिक लगती हो वह (निचू २ पृ ४२८)। भुक्खित-१ भूखा (दअचू पृ १५५) । २ चूर-चूर किया हुआ-'भिन्ने
भुविखते भेदिते' (अंवि पृ १४८) । भक्खुत्त---भूख से पीडित (व्यभा ६ टी प १६) । भुज्जित-भुना हुआ (आवचू २ पृ ३१७)। भुज्जिय-भुना हुआ (आचूला ११६)। भुज्झग--भुने हुए गेहूं (आचू पृ ३२६) । भण्ण-भग्न-'भुण्णकोट्ठा (णावं)' (सूचू १ पृ ३९)। भुत्तूण-भृत्य, नौकर (दे ६।१०६)। भुरुंडिया-शृगाली, शिवा (दे ६।१०१)। भरुकुंडिय-उद्धूलित, धूल से लिप्त (दे ६।१०६ वृ)। भुरुहंडिय-उधूलित, धूल से लिप्त (दे ६।१०६)। भल्लुंकी-शृगाली (पा २६७)। भुस-भूसा, बुस (भ २१।१६) । भुसुट्ट-भूसे का ढेर (निचू १ पृ ६८) ।
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