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देशी शब्दकोश बिआया-संलग्न भ्रमण करने वाला कीट-युग्म (दे ६।६३)। बिंबवय-भिलावां, फलविशेष (पा ३८०)। बिबोवणय-१ क्षोभ । २ विकार । ३ उच्छीर्षक, तकिया (दे ६।६८) । बिग्गाइया-संलग्न भ्रमण करने वाला कीट-युग्म-'यो कीटो संलग्नौ भ्रमतो
बिग्गाइया ख्यातौ' (दे ६१६३ वृ)। बिग्गाई-संलग्न भ्रमण करने वाला कीट-युग्म (दे ६।६३)। बिट्टी-पुत्री, बेटी (प्रा ४१३३०) । बिट्ठ-बैठा हुआ (ओनि ४७१)। बिब्बोय --उपधान, तकिया-'सयणीयं तूलियं सबिब्बोयं' (ग ११४) । बिब्बोयण-उपधानक, तकिया (भ ११।१३३)। बिरचिरालिया-भुजपरिसर्पिणी (जीवटी प ५२) । बिल-कूप (राजटी पृ १६१)। बिलकोलीकारक-वे चोर जो दूसरों को व्यामूढ करने के लिए विस्वर,
वचन बोलते हैं (प्र ३।३) । बीअअअसन-वृक्ष, विजयसार वृक्ष (दे ६।६३) । बीअजमण-खलिहान (दे ६।६३)। बीअण-असन वृक्ष, विजयसार वृक्ष (दे ६।६३ वृ)। . बोडग-पान का बीड़ा (निचू २ पृ १६०)। बीयय-गुल्म वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा ११३८) । बोलअ-कान का एक आभरण, कुंडल-विणा पिअं बीलएहि किं इत्थ'
(दे ६६३)। बोहणक-भीषण (प्र ३६)। बोहणकर-भयंकर (प्र २३६) । बोहणग-भयानक (प्र १।२४) । बोहणय-भीषण (प्र ११२)। बुदि-१ शरीर (सूर्य २०) । २ चुम्बन । ३ सूअर (दे ६६८) । बुदिणी-कुमारी-समूह (दे ६।६४) । बुंदी-शरीर (आवनि १४४६) । बुंदीर-१ भंसा । २ महान् (दे ६।६८)। बुबुअ-समूह (दे ६।६४) बंभल-चोटी, शेखरक (ज्ञा १९७२ पा)।
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