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तेरापंथ दिग्दर्शन पोलंडण-प्रोल्लंघन (ज्ञा १११११८६) । पोलंडिअ-प्रोल्लंधित (ज्ञा १।१।१५५) । पोलच्चा -हल से कृष्ट भूमि, खेटित भूमी (दे ६।६३) । पोलिअ-सौनिक, कसाई (दे ६।६२)। पोलिदि-पुलिन्द देश की लिपि (प्रज्ञा ११९८)। पोलिया-पूरी, पोलिका-~-'संपुण्णचंदमण्डलसरिसं पोलियं लहेसि'
(उशाटी प १४७) । पोल्ल-पोला, शुषिर-पोल्लरुक्खेसु अंतो-अंतो झियायमाणेसु'
(ज्ञा १११११५६)। पोल्लक-कटनिवर्तक लोहमय उपकरण-विशेष (आवहाटी १ पृ ३०४) । पोल्लड-शुषिर, पोला-'वंका कीडक्ख इया चित्तलया पोल्लडा य दड्डा य'
(ओनि ७३५) । पोल्लडय-पोल (निचू २ पृ ३६६) । पोवलक-खाद्य-विशेष (अंवि पृ १८२)। पोवलिया-पूपलिका-'पोवलियं-पोलिका' (आवहाटी १ पृ २२६)। पोसंत-योनि (नि ६।१४) । पोसय-उपस्थ (स्था ६।२४)। पोसिय-१ पूगफल, सुपारी (भ २२।२ पा) । २ दरिद्र, निर्धन
पोह-भैस, बैल आदि का गोबर (पिनि २४५)-'महिषी समागत्य
छगणपोहं मुक्तवती' (टी प ८३) । 'पोठा' (राजस्थानी)। पोहट्टी-स्त्री, युवती-'अंगणा महिला नारी पोहट्टी जुवति त्ति वा'
(अंवि पृ ६८)। पोडण--लघु मत्स्य (दे ६।६२) । प्रेयंड-धूर्त (दे ११४ वृ)।
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