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देशी शब्दकोश
२६६ पोतित-१ स्पन्दित-पोतितं ति देशीवचनत्वादितस्ततः स्पन्दितम्'
२ त्रासित (बृटी पृ ४३४) । पोतिय-हलवाई (निचू ३ पृ १०६) । पोत्तम-वृषण, अण्डकोश (दे ६।६२) । पोत्तग-सूती वस्त्र (आचूला ५३१)। पोत्तणय-वस्त्र-विशेष (जीभा १७६६) । पोत्तय-रूई से निष्पन्न वस्त्र-'साणयं पोत्तयं खोमिय' (आचला ॥१७)। पोत्तिय-१ रूई से पिष्पन्न वस्त्र (स्था ॥१६०) । २ तापसों का एक
प्रकार (औप ६४)। पोत्तिया-चतुरिन्द्रिय जंतु-विशेष (भ १५॥१८६)। पोत्ती-१ वस्त्र (भ ।१८८) । २ काच (दे ६।६३) । पोत्तुल्लया-वस्त्रमय पुतली (ज्ञा १११८१८) । पोदइल-तृण-विशेष (भ २११९)। पोप्पण-हाथ का स्पर्श (आवच १ पृ९०)। पोप्पय-हाथ का स्पर्श-'तेण उदरपोप्पयं करेंतेणं कहवि सा जोणिहारे
हत्थेण आहता' (आवहाटी १ पृ४४)। पोप्फस-फेफड़ा, शरीर का अवयव-विशेष (प्र ११११)। पोम-कुसुम्भ-रक्तवस्त्र-'पोमं ति कुसुंभयं' (निचू १ पृ १००)। पोमर-कुसुम्भ से रंगा हुआ वस्त्र (दे ६।६३)। पोयलि–पूआ (दअचू पृ ११४)। पोया-वाद्य-विशेष (भ श६४) । पोयाल-१ बच्चा, शिशु (ओनि ४४७) । २ वृषभ, बलिवर्द
(व्यभा ४१ टी प २०)। पोर-पर्व (व्यमा ८ टी प ४)। पोरग-हरित वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा ११४४३१) । पोरच्छ--दुर्जन (दे ६।६२) । पोरय-खेत, क्षेत्र (दे ६।२६) । पोरायाम-अंगूठे के पर्व पर तर्जनी अंगुली के रखने पर जितनी पोलाल
रहती है वह (ओनि ७०७)। पोरु-गांठ (सूचू २ पृ ३७६)। पोरुस---शरीर का अवयव-विशेष (अंवि पृ १३४) ।
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