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देशी शब्दकोश
२०६ डोवलिय- शाक आदि परोसने का काष्ठ-पात्र (आवहाटी २ पृ २४४) । डोविलिय-शाक आदि परोसने का काष्ठ-पात्र (आव २ पृ ३१०) । डोहल-गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०) । डोहिय-फल की अस्थिविहीन अवस्था (आचू पृ ३४१)।
ढ
ढंक-१ जंगली कौआ, मांसभक्षी पक्षी-सियाल-णंतिक्क-ढंकादी'
(जीभा २४६७)। २ जलचर पक्षि-विशेष-......... जलचरपक्षिजातिरेव......."एते हि न तृणाहाराः केवलोदकाहारा वा' (सूचू १ पृ २०१)। ३ मांसभक्षी क्षुद्र जीव (सूटी १५ २४६)।
४ कौआ (दे ४११३)। ढंकण-ढक्कन, पिधानक (अनुद्वा)। ढंकणी-पिधानिका, ढकनी (दे ४.१४)। ढंकराली-बडे पक्षी-विशेष-'महासकुणा दिग्घग्गीवा... पारिप्पव-ढंकरालीओ'
(अंवि पृ २३६)। हुंकुण-१ वाद्य-विशेष (आचूला १११२) । २ खटमल (जंबूटी प १२४;
दे ४।१४)। ढंखरिअ-विशेष प्रकार की वीणा रखने वाला (दे ४११४ वृ)। ढंखरी-वीणा का एक प्रकार (दे ४।१४)। ढंढ-१ पङ्क। २ निरर्थक (दे ४।१६) । ३ कपटी, दाम्भिक । ढंढणी-१ तृण-विशेष (बृटी पृ २०६) । २ कपिकच्छु का वृक्ष (दे ४११३)। हुंढर-१ पिशाच । २ ईर्ष्या (दे ४।१६) । ढंढरिअ-कर्दम (दे ४११५) । ढंढसिअ-१ ग्रामयक्ष (दे ४।१५) । २ ग्रामवृक्ष (वृ)। ढंढा-भेरी-'णेहो त्ति णाम डड्ढं (ढंढं ? ) भणियं मज्झण्हढंढाए'
(कु पृ १६६)। ढंसय--अपयश (दे ४।१४) । ढक्क- म्लेच्छ जाति-विशेष (कु पृ १५३) ।
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