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देशी शब्दकोश
ठाण-अभिमान (दे ४१५) । ठाणइल्ल-कोतवाल-'ठाणइल्ला रायपुरिसा गहण-कड्ढणं करेज्ज'
(निचू ३ पृ १९९) । ठाणिज्ज-१ सम्मानित (दे ४।५) । २ गौरव । ठिअअ-ऊर्ध्व, ऊंचा (दे ४१६ व) । ठिक्क-शिश्न, पुरुष-चिह्न (दे ४१५)। ठिक्करिया-ठीकरी, कपाल-ठिक्करियं अच्चेहि' (मावहाटी १ पृ २६४)। ठिक्किरिया-ठीकरी, घड़े का टूटा हुआ अंश-'सरक्खाणं ढुक्काहि
ठिक्किरियं च अच्चेहि' (आवचू १ पृ ५२२) । ठियल्ल-अवस्थित (उसुटी प ७२) । ठिविअ-१ ऊध्वं । २ निकट । ३ हिचकी (दे ४१६) । ठंठ-स्थाणु-छिन्नावशिष्टवनस्पतीनां शुष्कावयवाः ठुठा इति लोकप्रसिद्धाः'
(जंबूटी प ६६)। ठोठिका–एक प्रकार की मिठाई (प्रसाटी प ५१) ।
डआलुय-नौका-विशेष (अंवि पृ १४६) । डउर–जलोदर रोग (निभा २६५) । डंक-१ (बिच्छू आदि का) दंश (प्र श२३) । २ क्षत-विक्षत
(निचू २ पृ८८)। डंगर--नीच जाति के लोग-'डंगरा पादमूलिया' (निचू ३ पृ ५२१)।
२ लाठी रखने वाले चोर-'लाकुटिकाः डङ्गराः' (बृटी पृ ११५७) । डंड-वस्त्र के जोड़े हुए टुकड़े (दे ४१७) । डंडअ-रथ्या (दे ४८) । डंडपरिहार-जीर्ण-शीर्ण बड़ी कंबल-'महंता जुण्ण कंबली सरडिता डंड
परिहारो भण्णति' (निचू २ पृ ३२२)। डंडि-सांधा हुआ जीर्ण वस्त्र (निचू ३ पृ ६०) । डंडी-सिले हुए वस्त्र-खण्ड (दे ४१७ व) । डंबर-धर्म, गर्मी (दे ४१८)।
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